नई दिल्ली | जैसा कि आप जानते है पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा की सरकारी भर्तियों में सामाजिक- आर्थिक मानदंड क़े आधार पर दिए वाले 5 अंकों को संविधान क़े विरुद्ध बताते हुए रद्द कर दिया था. कोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को दोबारा से परीक्षा लेने व 6 महीने क़े अंदर भर्ती पूरी करने क़े आदेश दिए थे, पर सरकार 5 अंकों क़े लिए सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची थी. आज सोमवार को इसको लेकर सुनवाई हुई.
5 अंकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
इन 5 अंकों को लागू करने क़े लिए व इन्हें सही ठहराने क़े लिए HSSC ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. फिलहाल इस केस से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. बता दें कि सीईटी में 5 बोनस अंक की हरियाणा की नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने भी इन अंकों को असंवैधानिक बताया है तथा इस प्रकार यह केस डिसमिस हो चुका है. इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस आरक्षण को रद्द कर दिया था.
जिसके विरुद्ध हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने सुप्रीम कोर्ट में 4 अपीलें दायर की थीं. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसबीएन भट्टी ने मामले सुनवाई की. इससे पहले जो सुनवाई हुई थी, उसमे हरियाणा सरकार ने 2 अन्य याचिकाओं को शामिल करने को लेकर समय मांगा था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की डेट तय की थी.
नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं को भी फिर से देना होगा एग्जाम
सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर जारी विस्तृत आदेश में हाईकोर्ट ने बताया था कि यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है. जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने आरक्षण का लाभ दिया हुआ है तो क्यों यह आर्टिफिशियल श्रेणी बनाई जा रही है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ग्रुप C और D में नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं को फिर से एग्जाम देना होगा. अगर वे अबकी बार मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाये तो उन्हें नौकरी से हटा दिया जाएगा.
हाई कोर्ट ने दिया था यह तर्क
5 अंकों को हटाने क़े पीछे हाईकोर्ट ने कहा था कि यह फायदा देने से पहले न तो कोई डाटा एकत्रित किया गया और न ही कोई आयोग बनाया गया. इस प्रकार, पहले सीईटी में 5 अंकों का और फिर भर्ती परीक्षा में 2.5 अंकों का लाभ तो भर्ती का परिणाम पूरी तरह से बदल देगा.
इन अंकों का फायदा देते हुए केवल पीपीपी धारकों को ही योग्य माना गया है जो संविधान के अनुसार गलत है. इस प्रकार अंक देना किसी भी भर्ती क़े परिणाम को पूरी तरह बदल सकता है.
हाईकोर्ट क़े फैसले को आधार मानकर पूरी हो भर्तियां
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले को आधार मानकर अब भर्तियां पूरी की जाए. यानि कि आयोग को हाईकोर्ट क़े फैसले को मानना होगा व उसी क़े आधार पर सभी भर्तियों को पूरा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट क़े फैसले को सही बताते हुए 5 अंकों को रद्द किया है.
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