नई दिल्ली | ट्रेन किराए में रियायत बहाल करने की उम्मीद लगाए बैठे सीनियर सिटीजन को सुप्रीम कोर्ट ने भी झटका दिया है. सीनियर सिटीजंस के लिए रेलवे टिकट की कीमतों में रियायत बहाल करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जस्टिस एसके कौल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने एमके बालाकृष्णन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए बंद की गई रियायतों की बहाली की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद- 32 के तहत, एक याचिका में परमादेश की रिट जारी करना कोर्ट के लिए उचित नहीं होगा. सरकार को सीनियर सिटीजंस की जरूरतों और राजकोषीय रिजल्ट्स को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर कोई निर्णय लेना होगा. पीठ ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि बुजुर्गों को रियायतें देना राज्य का दायित्व है, केन्द्र का नहीं.
इसलिए बंद हुई थी छूट
केन्द्र सरकार ने साल 2020 में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान COVID- 19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन किराए पर मिलने वाली रियायतें बंद करने का फैसला लिया था. हालांकि, एक संसदीय स्थाई कमेटी ने हाल ही में सीनियर सिटीजन को रेल किराए पर मिलने वाली रियायतें फिर से बहाल करने की सिफारिश की थी. इस मामले को लेकर विपक्ष लोकसभा और राज्यसभा में भी आवाज उठाता रहा है लेकिन मोदी सरकार ने राजकोषीय घाटे का हवाला देते हुए स्पष्ट मना कर दिया है.
पहले मिलती थी इतनी छूट
बता दें कि भारतीय रेलवे द्वारा 60 साल या इससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराए पर 40 प्रतिशत की छूट प्रदान करता था जबकि 58 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी लेकिन कोरोना महामारी के बाद इस छूट को बंद कर दिया गया है.
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