नई दिल्ली | आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने केजरीवाल को 10- 10 लाख रुपये के निजी बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश सुनाया. उनके आफिस जाने और इस मामले पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने पर रोक रहेगी.
CBI को खूब लताड़ा
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केजरीवाल मामले के गुण-दोष पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे. ED मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी. फैसला सुनाते हुए जस्टिस भुइयां ने सीबीआई को खूब लताड़ा. उन्होंने कहा कि ‘सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर तोता है. सीबीआई को सीजर की पत्नी की तरह होना चाहिए, संदेह से परे’.
सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली हाई कोर्ट के 5 अगस्त के फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. सीबीआई ने केजरीवाल को 26 जून, 2024 को गिरफ्तार किया था. उन पर गवाहों को प्रभावित करने का आरोप है.
जमानत के लिए क्या शर्तें होंगी
- अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही सचिवालय जा सकेंगे.
- किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे जब तक ऐसा करना जरूरी न हो.
- अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे.
- किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे.
- इस केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगे.
- जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे.
21 मार्च को ईडी ने केजरीवाल को किया था गिरफ्तार
केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. 26 जून को सीबीआई ने कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया. सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिग मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी और वे वर्तमान में सीबीआई के भ्रष्टाचार मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. इस मामले से जुड़े 40 आरोपियों में से केवल दो व्यक्ति केजरीवाल और व्यवसायी अमनदीप सिंह ढिल्लों ही जेल में बंद है.
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