नई दिल्ली | केंद्र सरकार (Central Govt) ने मसूर के आयात पर रियायत (शून्य शुल्क) की समय सीमा 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है. पहले यह 31 मार्च 2024 तक थी. वित्त मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है. इसका मतलब है कि अब मार्च 2025 तक मसूर दाल के आयात पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. वहीं, आम उपभोक्ताओं को घरेलू बाजार में सस्ती कीमत पर मसूर दाल मिल सकेगी.
मसूर दाल की औसत खुदरा कीमत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 22 दिसंबर 2022 को मसूर दाल की औसत खुदरा कीमत 94.83 रुपये प्रति किलोग्राम थी जबकि अधिकतम कीमत 134 रुपये प्रति किलोग्राम थी. 22 दिसंबर 2023 को मसूर दाल की औसत कीमत मामूली गिरावट के साथ 93.97 रुपये हो गई है जबकि अधिकतम कीमत 14% बढ़कर 153 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है.
आयात शुल्क में छूट देने का फैसला
इन महीने की शुरुआत में सरकार ने दालों की कीमतों को स्थिर रखने के लिए पीली मटर के आयात पर 31 मार्च 2024 तक आयात शुल्क में छूट देने का फैसला किया था. नवंबर 2023 में दालों की महंगाई दर 20.23% पर पहुंच गई. दालों की महंगाई ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, नवंबर महीने में देश में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई, जो 3 महीने की गिरावट के बाद बढ़कर 5.55 फीसदी हो गई.
खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से हुई, जिसमें दालों की महंगाई का बड़ा योगदान रहा. नवंबर 2023 में दालों की महंगाई दर बढ़कर 20.23% हो गई, जो अक्टूबर में 18.79% थी. पिछले एक साल में मसूर दाल के दाम नहीं बढ़े हैं. पिछले एक साल में मसूर दाल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है.
इन देशों पर निर्भर है भारत
भारत अपनी जरूरतों के लिए दाल का आयात ज्यादातर कनाडा, नेपाल और अफगानिस्तान से करता है. वहीं, वह हर साल अमेरिका से करीब 3,700 सीपेट, भूटान से 1,600 सीपेट और नेपाल से 462 सीपेट दालों का आयात करता है.
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