नई दिल्ली | चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग के बाद भारतवासी काफी खुश हैं. अब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के 50वें दिन देश के सबसे बड़े और अनोखे मिशन ‘आदित्य एल-1’ की लॉन्चिंग को लेकर कई तरह की चर्चाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन घटनाक्रमों को बेहतर तरीके से रिकॉर्ड करने के लिए Aditya L1 को लॉन्च किया जा रहा है.
आदित्य के साथ जाने वाले सात अलग- अलग उपकरण सूर्य से अगले विकिरण, गामा- एक्स-रे और यूवी तरंगों, प्लाज्मा विस्फोट सहित घटनाओं को रिकॉर्ड करेंगे और बेहतर, सटीक डेटा वापस भेजेंगे. इसरो इस डेटा को देश के विभिन्न संस्थानों में बैठे विशेषज्ञों के पास भेजेगा और इसका बेहतर विश्लेषण किया जा सकेगा.
इन बातों पर हो रही विशेष चर्चा
इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि आखिरकार इसरो इतने कम समय में एक और बड़ा मिशन लॉन्च करने के लिए क्यों तैयार है? दरअसल, इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि सूरज का खराब मौसम है जो अगले कुछ महीनों में और खराब होने वाला है. माना जा रहा है कि इस दौरान पहुंचा आदित्य एल-1 सबसे सटीक डेटा भेजने में सक्षम होगा.
बीएचयू के भौतिकी विभाग ने कही ये बात
बीएचयू के भौतिकी विभाग के डॉ. कुँवर अलकेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में अंतरिक्ष के मौसम को खराब श्रेणी में रखा गया है. आने वाले कुछ महीनों में उथल- पुथल बढ़ेगी. सौर विस्फोट और विकिरण में और वृद्धि होगी. आईआईटी बीएचयू की डॉ. विद्या विनय कारक का भी कहना है कि जनवरी से लेकर अगले कुछ महीनों तक सूर्य पर बड़ी घटनाएं होने वाली हैं.
आदित्य एल-1 के साथ सात पेलोड और सुरक्षा उपकरणों के साथ एआई तकनीक से लैस कुछ उपकरण भी भेजे जा रहे हैं. आदित्य एल-1 एआई की मदद से सात पेलोड से 24 घंटे प्राप्त डेटा का विश्लेषण स्वयं करेगा. इसके बाद जरूरी डेटा ऐप पर पढ़ने के लिए ट्रांसमिट हो जाएगा. इस प्रक्रिया से वैज्ञानिक तेज गति से सटीक डेटा का विश्लेषण कर सकेंगे.
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