तीनों कृषि कानूनों की वापसी का किस पर क्या होगा असर, जानिए यहां सब-कुछ

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुनानक जयंती पर तीन नए कृषि कानूनों को वापिस लेने का निर्णय लिया है. राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि पूर्ण रूप से किसानों की भलाई के लिए लाएं गए इन कानूनों के फायदों को हम किसानों के एक छोटे वर्ग को समझाने में कामयाब नहीं रहे. उन्होंने कहा कि सरकार के लिए हर एक किसान अहम है . पीएम मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि 29 नवंबर से शुरू हो रहें लोकसभा के शीतकालीन सत्र में औपचारिक रूप से इन तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही देश के कृषि क्षेत्र में सुधार की बहुप्रतीक्षित उम्मीद फिलहाल क्षीण हो गई है.

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भारतीय जनता पार्टी

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. पीएम मोदी के कृषि कानूनों को वापिस लेने के निर्णय का बीजेपी को निश्चित रूप से इन राज्यों में फायदा पहुंचेगा क्योंकि पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी का जबरदस्त विरोध किया जा रहा है. इसके साथ ही बीजेपी को पंजाब में अपने पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ हाल ही में कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी साथ मिलने की संभावनाएं बढ़ गई है. बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में ही अकाली दल ने बीजेपी से अलग होने का फैसला लिया था.

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विपक्षी पार्टियां

5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के पास कृषि कानूनों का सहारा लेकर बीजेपी पर हमला बोलने का एक सुनहरा अवसर था लेकिन मोदी के इस फैसले के साथ ही यह मौका उनके हाथ से फिसल गया. लेकिन MSP कानून समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी दल भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

देश

कृषि कानूनों को वापिस लेने के फैसले का आंकलन किया जाएं तो सबसे ज्यादा किसी को नुकसान पहुंच सकता है तो वह देश है. देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान रहा है और इन कृषि कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होता तो जाहिर है कि देश की अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत होती. किसानों की आमदनी में इजाफा होता तो ग्रामीण भारत का ढांचा मजबूत हो सकता था और देश के चौतरफा विकास का सपना भी साकार हो सकता था.

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कृषि क्षेत्र

कृषि कानूनों की वापसी का सबसे बड़ा नुक़सान कृषि क्षेत्र को झेलना पड़ सकता है. कृषि क्षेत्र में सुधार करने के लिए लंबे इंतजार के बाद यें कानून लाएं गए थे. इन कानूनों से देश के 80% छोटे किसानों को फायदा होता और देश का कृषि क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला करने योग्य बनता. अब इन कानूनों के रद्द होने से इन प्रयासों को झटका लगेगा.

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