नई दिल्ली | यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर हरियाणा और दिल्ली में विवाद छिड़ा हुआ है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. यमुना नदी हरियाणा में स्वच्छ है औऱ दिल्ली मे जाके यह मैली हो जाती है. दिल्ली इसके लिए हरियाणा को जिम्मेदार बता रहा है. हरियाणा की मनोहर लाल सरकार तथ्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले का जवाब देने वाली है.
दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर 25मार्च कों होंगी सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई
दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 25 मार्च को दिल्ली- हरियाणा के जल बंटवारे व प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करने वाली है. दिल्ली बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के आधार पर हरियाणा पर आरोप लगाया गया है . इन्ही आरोपों को लेकर अब हरियाणा सरकार जवाब देने वाली. हरियाणा सरकार द्वारा याचिका की सुनवाई के दौरान रखे गए तथ्यों में से पहला तथ्य यह होगा कि हरियाणा से दिल्ली की सीमा में यमुना नदी का प्रबंध पानी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजाल्वड सीजन की मात्रा क्या रहती है.
इन मुद्दों को लेकर अपना पक्ष रखेगी हरियाणा सरकार
इसके बाद जैसे-जैसे यमुना नदी से पानी निकलता है, ओखला बैराज तक पहुंचने के बाद पानी की क्या स्थिति रहती है. हरियाणा सरकार का कहना है कि हरियाणा से यमुना नदी दिल्ली के पल्ला क्षेत्र में आती है. यहां बीऑडी की मात्रा 2.56 मिलीग्राम प्रति लीटर है तथा डीओ की मात्रा 7.19 मिलीग्राम प्रति लीटर है. आंकड़ों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यमुना नदी में प्रदूषण का कारण हरियाणा नहीं बल्कि, दिल्ली है. इसके अलावा भी हरियाणा सरकार पानी की मात्रा बढ़ाने के संबंध में अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखेगी. वहीं हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने साफ तौर पर कहा कि यमुना नदी में हरियाणा को मिलने वाले मात्रा 1 साल में आधी रह गई है.
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