हरियाणा में गोमाता के संरक्षण के लिए बनेगी देश की पहली काऊ सेंक्चुरी, जानें क्या होगी खासियतें

नूंह | हरियाणा की मनोहर सरकार (Manohar Govt) ने गौमाता के संरक्षण की दिशा में एक और बड़ी पहल की शुरुआत की है. इस संबंध में नूंह जिले के तावडू के हसनपुर गांव में देश की पहली काऊ सेंक्चुरी यानि कि गायों का अभ्यारण्य बनाया जाएगा. इसके लिए पंचायती जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा, जहां गायों को प्राकृतिक माहौल मिलेगा ताकि इन्हें नेचुरल हैबिटैट के साथ- साथ चारा पानी और वह वातावरण उपलब्ध करवाया जा सके.

Cow Sanctuary

इस गौ अभयारण्य के लिए पंचायत की मंजूरी मिल चुकी है. यहां पर इनके जीन बैंक का संरक्षण भी होगा. नगर निगम कमिश्नर पीसी मीणा ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है. इसके लिए एमसीजी और गुरुग्राम मेट्रो डिवलेपमेंट ऑथोरिटी (GMDA) द्वारा तैयार ड्राफ्ट प्रपोजल के लिए बैठक हो चुकी है. इस सेंक्चुरी को बनाने के लिए उन पंचायत जमीनों को तलाशना था जो रेवेन्यू रिकॉर्ड में गौर चरण के तौर पर दर्ज हों. इस दौरान काऊ सेंक्चुरी के लिए गो- चरण वाले स्थानों के पंचायत भूमि की बात आई तो हर लिहाज से तावड़ू की जमीन उपयुक्त लगी.

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बेसहारा गायों को नेचुरल हैबिटैट देना है मकसद

शहरी क्षेत्रों में बेसहारा गायों की संख्या का बढ़ता आंकड़ा और गौशालाओं की कमी का आलम यह है कि गायों को चारा नहीं मिल रहा है और ये प्लास्टिक जैसा जहर खाने को मजबूर हैं जोकि अंतत: इंसान को भी प्रभावित कर रहा है. इन गायों को एक सेंक्चुरी में शिफ्ट करने के बाद स्थितियां बेहतर हो सकेंगी. इसी सोच के साथ बेसहारा गायों को शेल्टर, उन्हें वैसा वातावरण और स्वच्छंद विचरण के लिहाज से प्राकृतिक स्थान देने के उद्देश्य से यह बनाई जाएगी.

इस गौ अभयारण्य में गौशालाओं जैसे हालात नही होंगे. ज्यादातर गौशालाओं में भी गायों की बेहद दयनीय स्थिति देखने को मिलती हैं. उन्हें खिलाने से लेकर उनके देखभाल तक के लिए व्यवस्था नहीं होती, जिससे गायें बंधी रहती हैं. गौ अभयारण्य में उन गायों को भी रखा जा सकेगा जो किसानों या गो पालकों के उपयोग की नहीं रह जाती. इन गायों को यहां कुछ शुल्क पर रखा जा सकेगा ताकि उन्हें शहरों में प्लास्टिक जैसा जहर खाने से बचाया जा सके.

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25 करोड़ रूपए का बजट जारी

योजना के तहत, गो अभयारण्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 25 करोड़ रूपए की लागत राशि खर्च होगी. बाद में गुरूग्राम और मानेसर नगर निगम रखरखाव का खर्च वहन करेंगे. वहीं, सुविधाएं अपग्रेड करने के लिए सीएसआर फंड की भी मदद ली जाएगी. इसके अलावा, लोगों से दान के तौर पर भी चारा लिया जाएगा. दूध देने वाली गायों की कीमत तय की जाएगी ताकि लोग इन्हें खरीद सकें.

भविष्य में इस गौ अभयारण्य के संचालन के लिए किसी एजेंसी या एनजीओ से टाइअप किया जा सकता है. सरकार के नियमों के अनुसार गौशाला चलाने वाली पंचायत को 5,100 रुपए सालाना और चारा उगाने के लिए 7,100 रुपए सालाना दिया जाता है. इसे भी इस अभ्यारण्य की योजना के साथ जोड़ा जाएगा.

ऐसे होगा काम

रेवेन्यू रिकॉर्ड में गो- चरण के तौर पर दर्ज स्थानों की पहचान की जाएगी ताकि अन्य स्थानों पर भी ऐसे अभ्यारण्य बनाए जा सकें. पहले इन गायों को अलग हिस्से में रखा जाएगा. उसके बाद, इनके स्वास्थ्य और व्यवहार की जांच के बाद इन्हें सेंक्चुरी में शिफ्ट किया जाएगा. इसमें काऊ हगिंग गतिविधि और काऊ प्रॉडक्ट से भी लिए जाने की योजना है.

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ये होगी खासियतें

  • गायों को अलग- अलग बाड़ों में रखा जाएगा और चारागाह जोन बनाए जाएंगे.
  • देसी नस्ल की गायों और इनके प्रॉडक्ट्स के लिए इंटरप्रटेशन सेंटर बनेगा. पशु अस्पताल की सुविधा मिलेगी.
  • गायों से मिलने वाली चीजों जैसे पंचामृत के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा.
  • मेच्योर गायों, बछड़ों, बैलों और क्रॉस ब्रीड के लिए अलग हिस्सा बनेगा.
  • हसनपुर हॉस्पिटल के वैटेनरी डॉक्टर को इसका डिप्टी डायरेक्टर बनाया जा सकता है.
  • वाइल्ड लाइफ और नैशनल पार्क की तर्ज पर काम करेगी सेंक्चुरी. एनसीआर के नजदीक होने के चलते भ्रमण के लिए आ सकेंगे लोग.
  • पानी की सुविधा के लिए बोरवेल खोदे जाएंगे और चारों तरफ बाउंड्री वॉल बनाई जाएगी.
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