नूंह | हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में इन दिनों किसानों के खेतों में गेहूं की हरी- भरी फसल लहलहा रही है. हालांकि, अभी फसल पकने में करीब 1 महीने का समय और लगेगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरियाणा का एक ऐसा गांव है, जहां सबसे पहले गेहूं की फसल पककर तैयार होती है. जी हां, इस गांव में होली से पहले गेहूं की फसल कटाई शुरू हो जाती है. इस गांव के लोग सबसे पहले नई गेहूं की रोटियां खाते हैं और यह कोई नई परम्परा नहीं है बल्कि सालों से चली आ रही है.
होली से पहले शुरू हो जाती है कटाई
आमतौर पर गेहूं की फसल अप्रैल के पहले सप्ताह में पककर तैयार हो जाती है, लेकिन नूंह जिले के गांव मढ़ी में गेहूं की फसल तैयार होकर कट चुकी है. होली पर्व से पहले ही इस गांव के लोग नए गेहूं की रोटियां खाना शुरू कर देते हैं. यहां पर बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल उगाई जाती है.
गेहूं की खासियतें
मढ़ी गांव के ज्यादातर किसान देशी यानि 306 नंबर वैरायटी की गेहूं के बीज की बिजाई करते हैं. इस गेहूं की खेती को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. एक तरह से कहें तो यह बरसाती पानी से ही तैयार हो जाती है. इस गेहूं की शुद्धता का कोई सानी नहीं है. इस गेहूं की रोटी बहुत मुलायम, चमकदार और पौष्टिक होती हैं. सबसे पहले नया और बीमारियों से मुक्त यह गेहूं मढ़ी गांव की शान में चार चांद लगा रहा है.
पानी का भारी टोटा
किसानों ने बताया कि फसलों के लिए पानी का बहुत टोटा है. खेती के लिए बरसाती पानी के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. इसके अलावा, इस क्षेत्र का पानी काफी खारा है और भूजल स्तर भी काफी नीचे चला गया है. इसके चलते यहां का पानी किसी लायक नहीं है. यही वजह है कि साल भर में किसान सिर्फ एक ही फसल ले पाते हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि अगर उनके गांव को आकेड़ा की तरफ से आने वाले नाले से पानी नसीब हो जाएं तो कम पैदावार वाली यह जमीन सोना उगल सकती है. बरसात अच्छी होती है तो 35 मन तक फसल हो जाती है वरना 20 मन तक ही रह जाती है.
ग्रामीणों ने बताई पूरानी कहानी
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि सदियों पहले गांव में एक फकीर आया था. बताते हैं कि फकीर को एक बुढ़ी औरत ने खाना तो खिला दिया, लेकिन पानी नहीं पिलाया. तब फकीर ने कहा कि तु रोटी तो सबसे पहले खाएगी, लेकिन पानी के लिए भटकेगी. तभी से इस गांव में सबसे पहले गेहूं की फसल पककर तैयार हो जाती है लेकिन क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत आज भी बनी हुई है.
जल्दी पकने की वजह
वहीं, इस मामले को लेकर जिला क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी डॉ अजय तोमर ने बताया कि मढ़ी गांव की मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या अधिक है. इसलिए वहां सबसे पहले पककर गेहूं की फसल तैयार हो जाती है. हालांकि, गांव की मिट्टी की जांच कराई जाएगी और उसके बाद ही वैज्ञानिक तौर पर सही आकलन किया जाएगा.
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