नूंह | हरियाणा का नूंह जिला ऑफ सीजन में लाल- पीले तरबूज की खेती से सुर्खियां बटोर रहा है. इस तरबूज की खेती कर किसान अपनी आमदनी तो बढ़ा ही रहें हैं. साथ ही, देश- प्रदेश के अन्य किसानों के लिए भी मिसाल कायम कर रहे हैं. जिलें के कुछ चुनिंदा किसानों की मेहनत को देखने दूरदराज से लोगों की भीड़ उमड़ रही है. किसानों की इस नई तकनीक को जानने को लेकर अन्य किसान उत्सुक हैं.
आमदनी में इजाफा
बता दें कि जिलें के गांव खोड बसई का यह किसान सर्दी के मौसम में तरबूज की बंपर पैदावार लेकर अन्य किसानों के लिए मिसाल बना हुआ है. बेमौसमी लाल- पीले तरबूज की खेती कर यह किसान अपनी आमदनी में निरंतर इजाफा कर रहा है. एक एकड़ तरबूज की खेती से किसान लगभग 2 लाख रुपए तक कमा रहा है. कुल तीन एकड़ भूमि पर खेती कर इस किसान ने करीब 6 लाख रुपए की आमदनी की है.
तरबूज की डिमांड
सबसे खास बात यह है कि इस समय ताजा तरबूज की डिमांड जोरों पर है. शादियों का सीजन चल रहा है. ऐसे में जाहिर है कि ताजा फल के रूप में तरबूज लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. लाल- पीले तरबूज की मांग अधिक होने के चलते किसान को भाव भी अच्छा मिल रहा है. वहीं रंग- बिरंगे तरबूज की खेती करने वाले किसान का कहना है कि वह पिछले कई सालों से यह खेती कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी सलाह दे रहे हैं कि परम्परागत खेती का मोह त्याग कर नई तकनीक से बागवानी खेती की ओर रूझान करें.
लागत कम मुनाफा ज्यादा
जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि किसान हकीमुद्दीन ने तीन वैरायटी हाइब्रिड तरबूज के बीज लगाए थे. तरबूज की यह फसल 70-80 दिन में पककर तैयार हो जाती है. यह पूरी तरह से ऑफ सीजनी फल है. ऐसे में किसान इस वैरायटी की खेती कर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस किसान को देखकर जिले से लगभग 50 किसानों ने इस तरबूज की खेती करने का मन बनाया है.
डाक्टरों ने दी जानकारी
वहीं डाक्टरों का भी कहना है कि तरबूज स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा फल है. उन्होंने कहा कि ऐसा सुना था सर्द मौसम में तरबूज की खेती नहीं हो सकती है और कोल्ड स्टोरेज से ही शादियों में इन दिनों तरबूज इत्यादि फल लाए जाते हैं लेकिन अब कोल्ड स्टोरेज की बजाय ताजा तरबूज लोगों तक पहुंच रहा है.
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