पलवल | हरियाणा के जिला पलवल में महंगाई के दौर में किसानों का रूझान पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती की ओर बढ़ रहा है. फूलों की खेती कम लागत और मेहनत से अधिक आय का जरिया बन रही है, जिससे आर्थिक रूप से काफी लाभ हो रहा है. साथ ही, अन्य किसानों के लिए भी मिसाल बन रहे हैं.
पारंपरिक फूलों की खेती छोड़ी
पातली गांव में फूलों की खेती करने वाले रणवीर सिंह किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं. रणवीर सिंह ने पारंपरिक फूलों की खेती छोड़ दी है और 6 एकड़ में फूलों की खेती से प्रति वर्ष 30 लाख रुपये कमा रहे हैं. किसान का कहना है कि सरकार फूलों की खेती के लिए किसानों को अनुदान भी दे रही है.
35 साल पहले करते थे पारंपरिक खेती
रणवीर सिंह ने बताया कि करीब 35 साल पहले वह भी सभी किसानों की तरह पारंपरिक खेती करते थे. मेहनत और लागत अधिक थी, लेकिन मुनाफ़ा नगण्य था. अब कम मेहनत और लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है. उनका कहना है कि जब दूसरे किसान फूलों की खेती करने लगेंगे तो वे किसी अन्य फसल की खेती नहीं करेंगे.
सालाना 30 लाख होती है कमाई
किसान रणवीर सिंह का पूरा परिवार भी इसमें उनका साथ देता है. वे फूलों के पौधे लगाते हैं और उन्हें फूल आने के लिए तैयार करते हैं. उनका पूरा परिवार फूल तोड़कर उनकी पैकिंग करने और दिल्ली के बाजार में बेचने का काम करता है.
रणवीर सिंह ने बताया कि यह उनकी आजीविका का साधन है, जिससे वह सालाना 30 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं. अब समय आ गया है कि किसान पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती करें ताकि उन्हें कम मेहनत में अधिक मुनाफा मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.
ये उगाए गए हैं फूल
वह अपने खेत की देखभाल खुद करते हैं. इसके लिए वह जापान से बीज मंगवाते हैं और फूलों के पौधे तैयार करते हैं, जिसमें गुलदाबेरी, ब्लूडज़ी, कैल, ग्लैड, रजनीगंधा, ब्रैसिका और स्टॉक आदि फूल उगाये जाते हैं. इस प्रकार की खेती से जहां एक ओर उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर उन्हें सरकार से समय- समय पर अनुदान भी मिलता रहता है.
गाजीपुर स्थित फूल मंडी में बेचते हैं फसल
किसान रणवीर सिंह ने बताया कि वह खुद अपनी फसल दिल्ली के गाजीपुर स्थित फूल मंडी में बेचते हैं. वे यहां से काफी अच्छा मुनाफा कमाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वे 6 एकड़ में फूलों की खेती कर रहे हैं. वे अक्टूबर से मई तक ही फूलों की खेती करते हैं. अंदर ड्रिप बनाकर फूलों के पौधे रोपे जाते हैं. इसके बाद, क्यारी बनाकर फूलों के पौधे रोपे जाते हैं. इसके अलावा, फूलों को पानी भी कम मात्रा में दिया जाता है. नेट हाउस के अंदर बनी क्यारी में ड्रिप लगाई जाती है ताकि बूंद- बूंद पानी फूलों पर पानी बहता रहता है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!