पंचकूला । दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी रास्ते से हट जाती है. इसका जीता-जागता उदाहरण हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय के स्टाफ में कार्यरत दोनों हाथों से दिव्यांग सुनील कुमार हैं ,जो कम्प्यूटर पर अपने पैरों की अंगुलियों से टाइपिंग करते हैं. करीब 32 वर्षीय सुनील की टाइपिंग स्पीड भी गजब है. राज्यपाल जब राजभवन का निरीक्षण कर रहे थे तो उनकी नजर पैरों की अंगुलियों से टाइपिंग करते सुनील पर पड़ी. एक बार के लिए तो राज्यपाल भी हैरान रह गए. राज्यपाल सुनील के पास रुकें और करीब दस मिनट तक उनसे बातचीत की.
किसी बॉलीवुड मूवी से कम नहीं है संघर्ष की गाथा
सुनील कुमार के संघर्ष की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं है. सुनील को नहीं पता कि उसके मां-बाप कौन है. महज चार वर्ष की उम्र में ही सुनील को बिजली का करंट लग गया था और उसके दोनों हाथ जल गए थे. उसे गंभीर हालत में उपचार के लिए चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती करवाया गया. उस समय सुनील के जिंदा बचने की उम्मीद ना के बराबर थी. सुनील को उस समय उसके माता-पिता बोझ समझकर उसे बिना बताए छोड़ कर चले गए.
डाक्टरों के अथक प्रयासों से सुनील की जान तो बच गई लेकिन उसे कंधे तक अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े . पूरी तरह घाव ठीक होने तक सुनील को पीजीआई में ही भर्ती रखा गया.
इसके बाद सुनील के जीवन के संघर्ष का नया अध्याय शुरू हुआ. हरियाणा राजभवन के अंतर्गत काम करने वाली साकेत संस्था ने सुनील को गोद ले लिया. उनकी स्कूली शिक्षा भी साकेत हाई स्कूल में ही हुई. स्कूली शिक्षा के दौरान सुनील अपने पैरों से पेंटिंग करने लगा. निरंतर अभ्यास के चलते सुनील की पेंटिंग विधा निखरती चली गई. धीरे-धीरे सुनील की पहचान बेहतरीन फुट आर्टिस्ट के रुप में होने लगी. 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के हाथों सुनील को ‘बेस्ट क्रिएटिव चाइल्ड’ का अवार्ड भी मिला. इसके बाद सुनील ने जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
रोजगार के लिए किया संघर्ष
रोजगार पाने के लिए सुनील को कड़ी मेहनत करनी पड़ी. उसने अपने पैरों की अंगुलियों से टाइपिंग करना सीखा. इसके बाद साकेत संस्था ने ही सुनील को आउटसोर्सिंग माध्यम से अपने यहां नौकरी दें दी. हरियाणा राजभवन के अधिकारियों को जब सुनील की इस प्रतिभा का पता लगा तो उन्होंने उसकी पोस्टिंग राजभवन कार्यालय में राज्यपाल के स्टाफ में कर दी.
क्या बोलें राज्यपाल
मुलाकात के बाद हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि सुनील बेहद ही मेहनती, कर्मठ और लगनशील कर्मचारी हैं. मैंने सुनील से करीब दस मिनट तक बातचीत की. उसने बड़ी-2 कठिनाइयों और परिस्थितियों को पार करते हुए कला और रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है. मैं मानता हूं कि सुनील का संघर्ष तमाम उन दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं.
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