पंचकुला । सीबीएसई बोर्ड (CBSE) भारत का सबसे बड़ा बोर्ड है. हर वर्ष लाखो बच्चे अपनी 10वीं और 12वीं कक्षा सीबीएसई (CBSE) बोर्ड से उत्तीर्ण करते है. आज भारत के हर हिस्से में आपको सीबीएसई (CBSE) बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल है. सीबीएसई लाखो बच्चो को उनके सपने पूरा करने में एक अहम् भूमिका निभाता है, लेकिन जब आप सीबीएसई (CBSE) से जुडी हुई एक बात में बारे में जानेगे तो आप भी पूरी तरह हैरान रह जायेंगे, जी हाँ सीबीएसई (CBSE) बोर्ड से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद लगभग बीस प्रतिशत छात्र अपने स्कूल को छोड़ देते है.
बता से कोरोना के चलते निजी स्कूलों के प्रति विधार्थियो की रूचि कम हो गई है. विद्यार्थी अब सीबीएसई (CBSE) मान्य प्राप्त निजी स्कूलों को छोड़ कर सरकारी स्कूलों मे एडमिशन ले रहे है. बिहार मे कोरोना के चलते यह देखा जा रहा है की 11वीं कक्षा के एडमिशन मे कमी आई है.
सिर्फ हम सीबीएसई (CBSE) स्कूल की बात करे तो 15 से 20 फीसदी छात्रों ने 10वीं कक्षा पास करने के बाद 11वीं कक्षा मे दाखिले नहीं लिया है. ऐसे छात्रों ने निजी स्कूलों मे दाखिला लेने के स्थान पर सरकारी स्कूलों मे दाखिला ले लिया है, अगर हम बिहार के सीबीएसई सहोदया काम्प्लेक्स और एसोसिएशन ऑफ इण्डिपेंड स्कूल्स की रिपोर्ट के अनुसार बात करे तो ज्यादातर बच्चों ने 11वीं कक्षा मे दाखिला नहीं लिया.
अगर हम इंटरनेशनल स्कूल की बात करें तो स्कूल के 20 से 25 प्रतिशत छात्रों ने 11वीं कक्षा में एडमिशन नहीं लिया. यह स्थिति केवल इन्हीं स्कूलों की नहीं है बल्कि देश भर के तमाम स्कूलों की है. फ़िलहाल कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद है. 11वीं कक्षा के दाखिले भी अगस्त में शुरू किए गए थे, लेकिन स्कूलों ने अप्रैल में ही पूरी फीस ले ली थी. बहुत से अभिभावक एक साथ इतनी फीस नहीं दे सकते.
कोरोना को देखते हुए दाखिले में किया गया बदलाव
नाइट्रोम अकैडमी, सेंट माइकल, डीएवी बीएसईबी, जैसे स्कूलों में बिना लिखित परीक्षा के 11वीं कक्षा में दाखिला लिया गया है . इन स्कूलों में केवल इंटरव्यू और अंक प्रतिशत के आधार पर दाखिला लिया गया है .इसके बावजूद भी छात्रों की संख्या में कमी आई है.
इसके कुछ कारण ये हो सकते है
- सरकारी स्कूलों में एडमिशन फीस बहुत कम है.
- सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने के बाद अटेंडेंस पूरी करना जरूरी नहीं है.
अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार सीबी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि 15 से 20 फीसदी छात्रों ने सीबीएससी छोड़कर 11वी कक्षा मे सरकारी स्कूल में दाखिला लिया. उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के बाद विद्यार्थियों को अटेंडेंस की कोई चिंता नहीं होती ।
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