पंचकूला | देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा को पहले प्रयास में पास करना आसान नहीं है लेकिन अगर सही रणनीति बनाई जाए तो यह उतना मुश्किल भी नहीं है. हर साल लाखों बच्चे यूपीएससी का एग्जाम देते हैं मगर सफलता कुछ लोगों को ही मिलती है.
हरियाणा के पंचकूला की अक्षिता गुप्ता ने नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी की और अपने पहले ही प्रयास में महज 24 साल की उम्र में यूपीएससी का एग्जाम क्रैक कर लिया. अक्षिता गुप्ता आईएएस बनने के बाद पटियाला असिस्टेंट कमिश्नर (ट्रेनी) के तौर पर सिविल सर्विसेज में शामिल हुईं.
एमबीबीएस कर रही थी अक्षिता गुप्ता
बता दें कि अक्षिता गुप्ता हरियाणा के पंचकूला की रहने वाली हैं. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल चंडीगढ़ से एमबीबीएस कर रही थीं. तीसरे साल में अक्षिता ने यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी. तैयारी के लिए तीन तरह की रीडिंग स्ट्रैटेजी बनाई. पहले पढ़ना, फिर महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करना और फिर दूसरे पठन में महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर करने के लिए हाइलाइटर का उपयोग करना. तीसरे पठन में केवल हाइलाइट किए गए भागों को पढ़ना.
69वीं रैंक की हासिल
अक्षिता गुप्ता ने बताया कि ‘मैंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए अपनी रणनीति बनाई, जो सफल रही. मैंने वैकल्पिक विषय को प्राथमिकता दी. इसे रोजाना स्मार्ट तरीके से रिवाइज करती थी. नतीजा यह रहा कि यूपीएससी 2020 में 500 में से 299 अंक हासिल कर 69वीं रैंक हासिल की.
स्मार्ट रिवीजन की शर्त यह है कि रिवीजन नियमित हो. इसमें कोई गैप नहीं होना चाहिए क्योंकि गैप से मेमोरी लॉस होता है. स्मार्ट रिवीजन अक्षिता गुप्ता के लिए चुनौतीपूर्ण था. जब उन्हें डॉक्टर के तौर पर 14- 14 घंटे काम करना पड़ता था लेकिन 15 मिनट का ब्रेक मिल जाता था. उसमें भी अक्षित रिवीजन करती थी.
यूपीएससी मेन्स की ऐसे की तैयारी
यूपीएससी मेन्स की तैयारी के लिए अक्षिता गुप्ता प्रत्येक विषय के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को एक साफ, पतले रजिस्टर में लिखने का सुझाव देती हैं. यह परीक्षा से एक दिन पहले रिवीजन करने और लगभग हर विषय के बारे में तथ्यों को बनाए रखने में मदद करता है. दिन की शुरुआत में पिछले दिन सीखी हुई बातों का रिवीजन करना चाहिए.
अक्षिता गुप्ता ने कहा कि मैंने अपनी सारी दवाओं की किताबें लीं और यूपीएससी सिलेबस से जुड़े पन्ने फाड़ दिए. किताबों को फाड़ना दर्दनाक था, लेकिन यह अच्छे के लिए था. मैंने सारे पन्ने लिए उन्हें स्टेपल किया और चैप्टर बनाए ताकि मुझे हर चीज के लिए नोट्स बनाने की जरूरत न पड़े. इस तरह मैंने वैकल्पिक चिकित्सा के विज्ञान की तैयारी की. बाकी विषयों के लिए टेस्ट सीरीज का तरीका अपनाया गया.
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