CBSE: निर्धारित समय होंगी परीक्षा, अभी तक पाठ्यक्रम नहीं हुआ पूरा

• सीबीएसई (CBSE)  द्वारा प्री बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित करने की हर संभव कोशिश की जा रही है.

• सीबीएसई (CBSE) द्वारा प्री बोर्ड की परीक्षाएं दिसंबर तक आयोजित की सकती हैं.

पंचकुला । अगर हमारा देश जल्द से जल्द कोरोना काल से मुक्त हो जाता है, तब अगले वर्ष यानी 2020-2021 के सत्र में होने वाली दसवीं और बारहवीं की बोर्ड व जेईई नीट जैसी अन्य परीक्षाएं तय किए गए निर्देशों के अनुसार आयोजित की जा सकती हैं. कोरोना के चलते इस बिगड़े हुए शैक्षणिक सत्र को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने फ़िर से अपनी तैयारी को दुरुस्त कर दिया है.

CBSE

तीस फीसद तक कम हुआ था पाठ्यक्रम

सी बी एस ई यानि Central Board of Secondary Education और एनटीए यानि National Testing Agency इस योजना को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार स्कूलों का कोर्स नंवबर माह के अंत तक खत्म हो रहा है, तो इसलिए ऐसे में प्री- बोर्ड की परीक्षाओं को पिछले साल की तरह दिसंबर में ही आयेाजित कराने के निर्देश जारी किए जा सकते हैं. स्कूली बच्चों व शिक्षकों के लिए बड़ी राहत की बात यह है कि कोरोना काल के कारण शुरूआत में ही स्कूली पाठ्यक्रम को तीस प्रतिशत तक कम कर दिया गया था.

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समय रहते होंगी परिक्षाएं?

स्कूलों के बंद होने के बाद भी वह आनलाइन ही कोर्स को समय पर अच्छी तरह से पढ़ाने में सक्षम रहें हैं.समय पर परीक्षा होने पर, समय से शुरू होगा नया सत्र हालांकि कोरोना काल के दौरान एक बड़ा वर्ग इन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग कर रहा था. कुछ इसी तरह एन टी ए अगले वर्ष होने वाली परीक्षाओं को भी समय पर व कम समय के भीतर कराने को लेकर अपनी तैयारी कर रही है.

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शिक्षा मंत्रालय के सामने आईं रुकावटें

शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार समय पर परीक्षाएं आयोजित करने से स्कूलों व कालेजों दोनों में ही नया सत्र भी समय रहते शुरू किया जा सकता है. दरअसल ऐसी योजनाएं बनाने वाले अधिकारियों के समक्ष इन योजनाओ को लेकर काफी अचड़ने भी आ रही है, जिन्हें दूर करने के लिए नए नए रास्तों को परखा जा रहा है. इनमें स्कूलों के बंद होने से प्रैक्टिकल कार्य और उसका ज्ञान न होना भी एक सबसे बड़ी अड़चन का उदाहरण हैं.

 

खुल सकते हैं स्कूल?

जिन राज्यों में स्कूल खुल गए है अर्थात् जो क्षेत्र कंटेंटमेंट जॉन से बहार है, वहां स्कूली बच्चों को इसके लिए समय मिल जाएगा. किन्तु, बहुत से क्षेत्र ऐसे है जहा कोरोना का ग्राफ दिन ब दिन तेज़ी से बढ़ रहा है, इसके चलते उन क्षेत्रों में स्कूल अभी भी बंद ही है. ऐसे में बहुत से बच्चे प्रैक्टिकल कार्य के ज्ञान से वांछित रह जाएंगे. परंतु प्रैक्टिकल नॉलेज होने से थेओरी को दिमाग में समझने के लिए आसानी होती है. इसी कारण से सी बी एस ई ने बारहवीं में प्रेक्टिकल विषयों के लिए तीस फ़ीसदी अंक देने बच्चो के लिए तय किए गए हैं.

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प्रैक्टिकल कार्य की अहम भूमिका

इन हालात को मध्यनजर रखते हुए, चिंता का विषय यही है कि ऐसे में बच्चों का प्रैक्टिकल कार्य कैसे पुरा होगा, या फिर उसकी जगह कोई अन्य विकल्प तैयार किया जा सकता है. परीक्षाओं में प्रैक्टिकल कार्य की एक अहम भूमिका होती है. सी बी एस ई ने बारहवीं में विज्ञान विषयों में इसके लिए तीस प्रतिशत अंक निर्धारित किए हुए हैं, क्योंकि इसकी जानकारी बच्चो को आगे जाकर कार्यक्षेत्र में काम करने के लिए एक अहम योगदान देती है ।

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