पंचकूला । केंद्र सरकार द्वारा डीजीपी मनोज यादव को मूल कैडर हरियाणा में 1 साल का एक्सटेंशन दिया गया है. सीएम मनोहर लाल ने मंगलवार दोपहर पत्रकारों से बातचीत कर इस के बारे में जानकारी दी. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि वे बीच में केंद्र में जाना चाहे तो जा सकते हैं, जब वे जाएंगे तब नए डीजेपी को लेकर पैनल बनेगा.
गृह विभाग द्वारा भेजा गया नए डीजीपी के लिए पैनल
वहीं शाम तक गृह विभाग द्वारा भी नए डीजीपी के पैनल के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया गया है. बता दे कि पैनल में एडीजीपी रैंक तक के 8 आईपीएस के नाम है. विज द्वारा पैनल सीएम को भेजा गया है. उन्होंने डीजीपी यादव को अयोग्य अफसर बताते हुए तब तक ही एक्सटेंशन की सिफारिश की है जब तक नए डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो जाती.
डीजीपी के लिए 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले ऐसे आईपीएस होने चाहिए जिनका कार्यकाल कम से कम छह माह बचा हो. ऐसे सिर्फ 8 आईपीएस है. 1984 बैच के सीनियर आईपीएस एसएस देसवाल, 1986 बैच के आईपीएस केके संधू का नाम भी पैनल में दिया गया है. इसके साथ ही इसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि इनकी सर्विस का समय 6 माह से कम समय बचा हुआ है. इसलिए यह डीजीपी नहीं बन सकते. यह दोनों ही 31 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं.
अनिल विज ने वर्तमान डीजीपी को बताया अयोग्य
इसके अलावा 1988 बैच के आईपीएस एवं वर्तमान डीजीपी मनोज यादव, 1988 बैच के आईपीएस पीके अग्रवाल 1989 बैच के मोहम्मद वकील एवं आर सी मिश्रा, 1990 बैच के एडीजीपी शत्रुजीत कपूर, देशराज सिंह डीजीपी की दौड़ में है. इन सभी के नामों को पैनल में शामिल किया गया है. कुछ रिपोर्ट से पता चला है कि गृह मंत्री अनिल विज ने सीएम मनोहर लाल खट्टर को लिखे पत्र में डीजीपी मनोज यादव को अयोग्य बताया है.
साथ ही उन्होंने कहा है कि इनके रहते हुए प्रदेश में कानून व्यवस्था अच्छी नहीं हो सकती. अफसर इन के नियंत्रण में नहीं है, किसान आंदोलन के दौरान भी सिस्टम मिसमैनेजमेंट हुआ था. इसलिए इनका वर्तमान इस पद पर रहना प्रदेश के लिए अच्छा साबित नहीं होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि 1 साल की एक्सटेंशन देने के स्थान पर इनको तब तक के लिए डीजीपी रहने दिया जाए, जब तक नए डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती.
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