पंचकूला । हरियाणा सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को बड़ा झटका दिया है.अब सेनानियों के आश्रित पोते-पोतियों , नाति-नातिन को सरकारी नौकरियों में एक बार ही आरक्षण का लाभ मिलेगा. एक परिवार के आश्रित दोबारा 2 फीसदी आरक्षण के पात्र नहीं होंगे. प्रदेश सरकार ने इस मामले में सभी विभागों को स्पष्ट कर दिया है.
बता दें कि हरियाणा में स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के लिए आरक्षण लागू होने के बाद से अब तक पात्रों को न के बराबर ही नौकरियां मिली हैं और न ही पेंशनर्स की पेंशन बढ़ रही है. दो फीसदी आरक्षण में स्थिति यह है कि विज्ञापित पदों पर पहले पूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों व दिव्यांगों , फिर स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को लाभ का प्रावधान है. इससे सैनानियों की अगली पीढ़ियां नौकरी मिलने से वंचित रह रही है.
10 सेनानी और 399 विधवाएं ही जीवित
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश के 5500 स्वतंत्रता सेनानियों में 2600 आजाद हिन्द फौज के सिपाही शामिल हैं. इनमें से 10 सेनानी व उनकी 399 विधवाएं ही जीवित है. सरकार इन्हें सम्मान स्वरूप 25 हजार रुपए मासिक पेंशन दें रही है. कई वर्षों से यें पेंशन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं.
अब तो हरियाणा सरकार ने संयुक्त पंजाब से चली आ रही हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के कार्यालय को भी बंद कर दिया है.जबकि समिति में चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व 15 सदस्य होते हैं. समिति चेयरमैन स्वतंत्रता सेनानी ललती राम का कुछ महीने पहले स्वर्गवास हो चुका है. पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड व बिहार में यह समितियां व कार्यालय चल रहे हैं.
स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संघ के प्रदेश महासचिव सुरेन्द्र जागलान ने कहा कि चंडीगढ़, यूपी, पंजाब व बिहार की तर्ज पर नौकरियों में 2 फीसदी खुला आरक्षण लागू किया जाएं. आज तक किसी भी स्वतंत्रता सेनानी का परिजन नौकरी में आरक्षण का फायदा नहीं उठा पाया है. इसके अलावा सम्मान समिति कार्यालय को भी दोबारा खोला जाएं. इसके अलावा पुरानी अधिसूचना में बदलाव की मांग को पूरा किया जाएं.
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