पंचकूला | हरियाणा के पंचकूला में रविवार को जननायक जनता पार्टी (JJP) द्वारा पंचायती राज प्रकोष्ठ सम्मलेन का आयोजन किया गया था जिसमें डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार ने गांवों में पार्टीबाजी और जातीय तनाव को खत्म करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत गांवों में बनने वाली चौपालें किसी एक जाति अथवा सम्प्रदाय के नाम पर नही होगी.
भीमराव अम्बेडकर के नाम से होगी पहचान
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि भविष्य में चौपालों को डॉ. भीमराव अम्बेडकर भवन के नाम से जाना जाएगा. पहले जिन चौपालों के कुछ और नाम रखे हुए हैं उनके नाम भी बदलें जाएंगे. उन्होंने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें सामने आ रही थी कि चौपालों के नाम किसी जाति विशेष, व्यक्ति विशेष या फिर सम्प्रदाय के नाम पर रखे जा रहे हैं. ऐसा करने से गांवों का भाईचारा बिगड़ रहा है और आपसी झगड़े तक की नौबत आ रही है इसलिए सभी चौपालों का नाम भीमराव अम्बेडकर के नाम पर रखा जाएगा. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि भविष्य में नई चुनकर आने वाली पंचायतों को इस बारे में प्रस्ताव बनाकर देना होगा और पुरानी चौपालों का नाम बदलने का प्रस्ताव भी सरकार के पास भेजना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से यदि गांवों का भाईचारा मजबूत होता है इससे अच्छी पहल और क्या हो सकती है.
सकारात्मक सोच से बढ़ रहें हैं आगे
आदमपुर उपचुनाव में भव्य बिश्नोई के प्रचार करने को लेकर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि चुनाव प्रचार को लेकर जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी,उसका हम पालन करेंगे. उन्होंने कहा कि हम गठबंधन धर्म को निभाने वाले लोग हैं और बीजेपी प्रत्याशी की घोषणा होने से पहले ही जजपा पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला ने हांसी में बयान दिया था कि हमारी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में आदमपुर उपचुनाव लड़ेंगी. वहीं, चुनाव प्रचार के लिए जारी हुए पोस्टरों पर जजपा नेताओं के फोटो न होने के सवाल पर चौटाला ने कहा कि हम ऐसी सोच से बहुत उपर उठ चुके हैं और यह कोई खास बात नहीं है.
पंचायत चुनावों में नहीं होगा टकराव
वहीं, पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने से जिलों में बीजेपी के साथ टकराव पर दुष्यंत चौटाला ने जवाब देते हुए कहा कि हमने जिला इकाईयों पर अपना फैसला छोड़ा हुआ है और नौ जिलों के लिए पार्टी के दो- दो सीनियर नेताओं की ड्यूटी लगाई हुई है. जिला परिषद के चुनाव कैसे लड़ने है, यह जिला इकाईयों से बेहतर कोई नहीं समझता. यदि कहीं पर दोनों पार्टियों के प्रत्याशी बिना पार्टी सिंबल के चुनाव मैदान में होंगे तो फिर टकराव का सवाल ही नहीं खड़ा होगा.
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