पंचकूला । कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को पूरी तरह राजनीतिक मानते हुए हरियाणा सरकार अब सख्ती बरतने के मूड में दिखाई दे रही है. सरकार का मानना है कि किसान आंदोलन की वजह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है तथा साथ ही आसपास के क्षेत्र के लोगों को आवाजाही में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार का कहना है कि आंदोलन स्थल अपराधिक गतिविधियों का अड्डा बनता जा रहा है. राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के वास्तविक किसानों का इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है. पंजाब चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने हेतु कांग्रेस पार्टी इस आंदोलन को चलवा रहीं हैं.
अवांछित गतिविधियों से टूट रहा है संयम
चंडीगढ़ में प्रेसवार्ता के दौरान सीएम मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि जिस दिन टकराव की स्थिति बनेगी,उस दिन हमारा संयम भी टूट जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार हैं. किसान संगठनों को कृषि कानूनों को खत्म करने की राजनीतिक जिद को छोड़कर बातचीत करने के लिए आगे आना चाहिए. मुख्यमंत्री ने तल्ख लहजे में कहा कि आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था खराब होती है तो इसके जिम्मेदार भी आंदोलनकारी ही होंगे.
हरियाणा ने खुलवाएं अपने हिस्से के तीन टोल
मुख्यमंत्री के कड़े और स्पष्ट रुख से अब यहीं मालूम हो रहा है कि सरकार कानून व्यवस्था बिगड़ने से रोकने के लिए किसान आंदोलन को जल्द खत्म करने के मूड में हैं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने मनाली दौरें के दौरान नेशनल हाईवे के बंद पड़े टोल प्लाजा को खुलवाने की बात केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से की. मुख्यमंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही एक्शन लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने HSIIDC के अपने तीन टोल प्लाजा को चालू करा दिया है.
मनोहर लाल करेंगे हर जिले में कार्यक्रम
भाकियू नेता गुणी प्रकाश द्वारा कुरुक्षेत्र में सीएम का प्रोग्राम कराने से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हमारी इसके लिए पूरी तैयारी है. जिस भी जिले से ऐसे कार्यक्रमों की पेशकश आएगी,हम वहां बेझिझक होकर अपने प्रोग्राम करेंगे. कुरुक्षेत्र के बाद चरखी दादरी में एक कार्यक्रम आयोजित करवाया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान एक पवित्र शब्द है लेकिन कुछ आंदोलनकारी किसान शब्द की पवित्रता को भंग करने में जुटे हुए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि धरना स्थल पर रास्ता खोलने को लेकर स्थानीय लोगों से विवाद हो रहें हैं. आंदोलनकारी धमकी देते हैं कि सरकार के मंत्रियों और नेताओं को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा. इसके बावजूद हम संयम बरत रहे हैं लेकिन किसान इसे हमारी कमजोरी समझ रहे हैं.
आंदोलनकारी सीमा से बाहर जाएंगे तो होगी कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सरकार का मुखिया होने के नाते किसान संगठनों के व्यवहार व कृत्यों को अलोकतांत्रिक मानते हुए उनकी निंदा करता हूं. अगर आंदोलनकारी किसान अपनी सीमा को तोड़ेंगे तो निश्चित रूप से उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को पर्दे के पीछे से कांग्रेस पार्टी प्रायोजित कर रही है. उन्हें भली-भांति मालूम है कि नए कृषि कानूनो से किसानों को फायदा हैं. कांग्रेस अपने फायदे के लिए किसानों को मोहरा बना रहीं हैं. अब धरना स्थल पर मुठ्ठी भर लोग बैठे हुए हैं. लेकिन हम उन्हें भी अपना मानते हुए बार-बार उनके खिलाफ कार्रवाई से परहेज़ कर रहे हैं, आखिर ऐसा कितने दिन चलेगा.
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