पंचकूला | रावण के बड़े- बड़े पुतले तो आपने कई देखे होंगे. मगर आज हम जिस शख्स के बारे में बात करने जा रहे हैं रावण का सबसे बड़ा पुतला बनाने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है. लगभग हर साल तेजिंदर चौहान सामाजिक संगठनों और अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर रावण का पुतला बनाते हैं. यह पुतला आम रावण के पुतलों जैसा नहीं है. बता दे तेजिंदर सिंह ने चंडीगढ़ में 221 फीट का रावण का पुतला बनाया था, जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है. हालांकि, इस बार उन्होंने 171 फीट ऊंचा पुतला बनाया है.
ऐसे बनाना शुरू किया रावण
तेजिंदर सिंह ने बताया कि कई साल पहले शौक के तौर पर उन्होंने अपने क्षेत्र बराड़ा में मजदूरों के साथ मिलकर रावण का पुतला बनाना शुरू किया था. इस शौक के लिए उन्होंने अपनी जमीन बेचकर लाखों रुपये भी खर्च किए थे. जब बराड़ा में मैदान छोटा पड़ने लगा तो उन्होंने चंडीगढ़ और पंचकुला का रुख किया. 5 साल पहले भी उन्होंने पंचकुला के शालीमार ग्राउंड में रावण का सबसे बड़ा पुतला बनाया था. तेजिंदर सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे वह रावण का कद बढ़ा रहे हैं, समाज में एक सीख भी मिल रही है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो जाए, अंत में उसे जलाना ही है.
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम
तेजिंदर सिंह ने बताया कि 2014 से 2016 तक उन्होंने अपनी उपलब्धि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज कराई है. इस काम के लिए कई सामाजिक संस्थाएं उन्हें सम्मानित भी कर चुकी हैं. इस बार रावण बनाने में उन्हें 3 महीने का समय लगा. इसे बनाने में हर दिन 25 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं और इसकी लागत 18 लाख रुपये आई है.
समाज सेवी संस्थाएं कर रही सहयोग
तेजिंदर सिंह ने आगे बताया कि इस बार माता मनसा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट, पंचकूला रामलीला ड्रामाटिक क्लब और श्याम परिवार संस्था पूरा खर्च उठा रहे हैं और सबसे बड़ा रावण बनाने में मदद कर रहे हैं. माता मनसा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारी अमित गोयल ने बताया कि हर साल दशहरा के मौके पर सामाजिक संस्थाएं यहां रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन करती हैं और जब भी उन्हें यहां तेजिंदर चौहान की याद आती है तो वह तुरंत अपना कीमती समय निकालकर यहां के अपने कार्यकर्ताओं से मिलते हैं. दोनों मिलकर रावण का पुतला बनाते हैं.
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