आदिबद्री डैम बनाने हेतु हरियाणा तथा हिमाचल सरकार के बीच हुआ MoU हस्ताक्षर, ये होंगे फायदे !

पंचकूला | वर्षों पहले विलुप्त हुई सरस्वती नदी का अब पुनरुद्धार होने जा रहा है. सरस्वती नदी को देवभूमि हिमाचल और हरियाणा मिलकर पुनर्जीवित करेंगे. जिसको लेकर हरियाणा व हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच आदिबद्री डैम बनाने हेतु MoU पर हस्ताक्षर हो चुके है. आदिबद्री डैम बनने से सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होने के साथ राज्य को भी कई फायदे मिलने वाले है. बताया जा रहा है यह डैम 215.33 करोड़ रूपये की लागत के साथ तैयार किया जा रहा है.

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शुक्रवार को पंचकूला में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में आदिबद्री बांध निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षर किया गया. इस डैम के तहत तीन किलोमीटर लंबी झील बनेगी. और बांध से 20 क्यूसिक पानी साल भर सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा. इसके अलावा भी हरियाणा, हिमाचल राज्य को इससे कई फायदे मिलने वाले है. वही वेदों की रचना भी इसी नदी के किनारे हुई थी. परन्तु किसी कारणवश यह नदी विलुप्त हो गई थी. जिसको अब एक बार फिर पुनर्जीवित किया जा रहा है.

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ये मिलेंगे फायदे

  • डैम पर हर साल 224.58 हैक्टेयर मीटर पानी का भंडारण होने से हरियाणा को 162 हैक्टेयर पानी मिलेगा
  • इससे हरियाणा के किसानो को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा
  • आदिबद्री, लोहागढ़, कपालमोचन, माता मंत्रादेवी, समेत अनेक धार्मिक और पर्यटन स्थलों को सीधे लाभ मिलेगा
  • बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा से पैदा होने वाली बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा
  • मोरनी में पानी की समस्या भी होगी दूर
  • इस परियोजना से प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे, जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा
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सीएम का 35 साल पुराना सपना हुआ साकार

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि आदिबद्री डैम बनाने का मकसद सरस्वती नदी के पुनरूद्धार के साथ-साथ भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज उनका 35 साल पुराना सपना साकार हुआ है. हमने वर्ष 1986-87 में सरस्वती के पुनरुद्धार के संबंध में हो रहे अनुसंधान से संबंधित यात्रा की थी. यह यात्रा यमुनानगर के आदिबद्री से शुरू होकर कच्छ तक पहुंची थी.

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मुख्यमंत्री ने बताया इस परियोजना से प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे, जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा. सैटेलाइट से स्पष्ट हुआ है कि जमीन के अंदर आज भी इसका प्रवाह है। अब आने वाले दिनों में परियोजना से जुड़ी सभी औपचारिकता पूरी कर बांध का शिलान्यास किया जाएगा.

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