पंचकूला । आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों के डीसी को हरियाणा में नंबरदारों की नियुक्ति पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं. नंबरदार के अलावा सरबराह नंबरदार (कार्यकारी) की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी गई है. बता दें कि प्रदेश में 23375 नंबरदार के पद मंजूर है लेकिन इनमें से एक तिहाई पद खाली पड़े हैं.
काफी समय से प्रदेश में यह चर्चा जोरों पर है कि हरियाणा सरकार भी अन्य राज्यों की तर्ज पर नंबरदार पद को खत्म करने की तैयारी कर रही है. इस रोक को उसी दिशा में एक कदम बताया जा रहा है. इस आदेश से पहले हाईकोर्ट भी नंबरदार पद की अहमियत पर सवाल उठा चुका है.
माना जा रहा है कि डिजिटल ज़मानें में नंबरदारों की जरूरत नहीं बची है.जमीन की रजिस्ट्री में होने वाली नंबरदार की गवाही में भी अन्य विकल्प दिए जा चुके हैं.आबियाना इकट्ठा करने का काम भी नहरी पटवारियों को दिया जा चुका है. वर्तमान में नियुक्त नंबरदारों को प्रदेश सरकार द्वारा 3000 रुपए महीना पेंशन और फ्री किराए की सुविधा दी जा रही है.
अंग्रेजों के जमाने से है नंबरदार पद
ग्रामीण क्षेत्रों में नंबरदार का पद सामाजिक और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ होता है. सरपंच के अलावा गांवों में नंबरदार के पास तमाम तरह की प्रशासनिक शक्ति होती है और सरकारी दस्तावेजों में नंबरदार की तस्दीक मान्य है. जमीन की रजिस्ट्री, जमीन के मालिकों की पहचान व आबियाना इकट्ठा करना आदि काम नंबरदार ही करता है.
नंबरदार सरकार, प्रशासन और ग्रामीणों के बीच कड़ी का काम करता है. इस पद पर अंग्रेजी हुकूमत के दौरान से ही नियुक्तियां होती रही है. हुड्डा सरकार से पहले नंबरदार का पद वंशानुगत होता था. इसके बाद इसे बदलकर योग्यता के आधार पर कर दिया गया. गांव में एक सामान्य, एससी व बीसी वर्ग से नंबरदार होता है ताकि सामाजिक बैलेंस बना रहे.
वहीं सरकार के इस फैसले पर हरियाणा नंबरदार एसोसिएशन के प्रधान जिले सिंह ने कहा है कि सरकार नए नंबरदार नियुक्त करने की बजाय उस पर रोक लगा रही है जो कि सरासर गलत बात है. इस बारे में पहले भी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को मांगपत्र सौंपा गया था लेकिन सरकार इसको लेकर सार्थक फैसला करती नहीं दिखाई दे रही है.
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