CBSE: स्कूलों की ऑनलाइन क्लास में 40 प्रतिशत से भी कम उपस्थिति, सिलेबस पूरा होने को लेकर चिंता

पंचकुला । ऑनलाइन माध्यम से चल रही कक्षा में काफी कम बच्चे होने के कारण स्कूल के साथ बोर्ड का भी विद्यार्थियों के प्रति बढ़ता चिंताजनक व्यवहार देखने को मिल रहा है. सीबीएसई (CBSE) और आईसीएसई स्कूलों की बात करें तो ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की जा रही कक्षा में 40 फीसदी से भी कम छात्र अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवा रहे हैं.

CBSE

 

सिलेबस- चिंता का विषय

ऐसे में सिलेबस पूरा करने को लेकर स्कूल के साथ- साथ छात्रों में भी चिंता बढ़ रही है. इस समय कोई एक छात्र ही नहीं अपितु, लगभग सभी स्कूलों की स्थिति यही है. अब सी बी एस ई ने बोर्ड परीक्षा के लिए फॉर्म भरवा दिया गया है. इस स्थिति में छात्रों के पास केवल 1 महीने का समय है, लेकिन नवंबर के अंत तक स्कूल खुलने की संभावना अभी बहुत कम ही दिखाई दे रही है.

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विभिन्न शिक्षिकाओं से बातचीत

  •  त्रिभुवन स्कूल की शिक्षिका पुष्पा सिंह जी के साथ हुई बातचीत में उन्होंने संवाददाता को बताया, कि बोर्ड परीक्षार्थी अब भी परीक्षा को लेकर सचेत नहीं हुए हैं क्योंकि, कक्षा में केवल 10 से 12 छात्र ही उपस्थित रहते हैं.
  •  साथ ही साथ नॉट्रेडम एकेडमी की शिक्षिका आभा चौधरी जी ने कहा कि जो छात्र ऑनलाइन कक्षा में नियमित रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे है, उनकी तैयारी अच्छे से हो रही है.
  •  सिस्टर सेरेना (प्राचार्य, माउंट कार्मेल हाई स्कूल) ने बताया, अब स्कूल खुलना जरूरी हो गया है क्योंकि, सिलेबस अब तक भी पूरा नहीं हो पाया है. परीक्षार्थी भी अब अपने अपने विद्यालय के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. अब अगर स्कूल खुलेंगे, तभी पढ़ाई पूरी हो पायेगी.
  •  वी एस ओझा (प्राचार्य, डी ए वी) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, स्कूल खुलने के पश्चात् ही छात्रों की तैयारी मुमकिन है. तभी छात्रों का आकलन हो पायेगा, क्योंकि बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए शिक्षक अपने लेवल पर बहुत बार प्रयास आदि करवाते हैं.
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वार्षिक परीक्षा , बढ़ रही मुश्किलें

परीक्षा के अतिरिक्त वार्षिक परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के लिए भी परेशानी बढ़ गई है. दरअसल वैसे, स्कूलों में वार्षिक परीक्षा फरवरी के माह में हो जाती है. किन्तु, अब दिसंबर और जनवरी केवल दो महीने रह गए है. अब कोरोना काल के समय में घर बैठकर सिलेबस पूरा करने की चुनौती स्कूलों व छात्रों दोनो की है. इसमें कक्षा एक से लेकर 9 वीं और 11वीं की कक्षाएं शामिल हैं. छोटी कक्षाओं में तो, ऑनलाइन माध्यम की उपस्थिति निम्न स्तर पर है और यूं कह सकते हैं, कि ग्राफ दिन- ब- दिन नीचे की ओर बढ़ता जा रहा है.

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