पानीपत | देश और दुनिया भर में हरियाणा के इतिहास की अपनी ही पहचान है. जहां कुरूक्षेत्र में महाभारत हुई थी तो पानीपत की धरती पर तीन- तीन लड़ाइयां लड़ी गई. इसी कड़ी में ही हम आपको पानीपत के नारा गांव के ऐतिहासिक दादी सती मंदिर (Dadi Sati Mandir) की गाथा बताएंगे. जहां बरनी देवी अपने पति की मौत के बाद, उनकी चिता पर सती हो गई थी.
750 साल पुराना इतिहास
दादी सती का यह मंदिर 750 साल पुराना इतिहास अपने अंदर समेटे हुए है. मंदिर कमेटी के प्रधान तेजवीर खर्ब ने जानकारी देते हुए बताया कि करीब 750 साल पहले दादी सती गांव नारा में चूहड़ सिंह के साथ शादी करके आई थी. दादी सती का असली नाम बरनी देवी और वे यूपी के सिसौली गांव की निवासी थी.
उन्होंने बताया कि आज से 750 साल पहले हिंदुस्तान पर मुसलमानों की हुकुमत थी. बताया जाता है कि किसी बात पर बहस के दौरान मुसलमानों ने दादी सती बरनी देवी के पति चूहड़ सिंह को निर्दयतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद पतिव्रता दादी सती बरनी देवी सन 1399 में अपने पति की चिता में सती हो गई थी.
मान्यताओं ने बढ़ाया मान
दादी सती और उनके पति की मौत के बाद ग्रामीणों ने गांव में शांति कायम रखने के लिए दादी सती मंदिर का निर्माण करवाया. इस मंदिर में हर साल मेला लगता है और आज भी मंदिर की मान्यता ऐसी है कि बड़े- बड़े राजनेता यहां दर्शन करने आते हैं. न केवल ग्रामीण बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी दादी सती मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
दादी सती की मान्यता
ग्रामीणों का मानना है कि दादी सती मंदिर में पूजा- अर्चना करने आने वाले की मनोकामना जरूर पूरी करती है. लोगों का कहना है कि गांव में बेटी या बेटे की शादी के बाद और औलाद पैदा होने पर दादी सती मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं ताकि बच्चों को बीमारी और परेशानियों से छुटकारा मिल सकें.
कई वीआईपी कर चुके हैं दर्शन
नारा गांव के सरपंच ने बताया कि हर साल दादी सती मंदिर में लगने वाले मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूरदराज इलाकों से दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत कई अन्य VIP हस्तियां बिना किसी निमंत्रण के माथा टेकने पहुंच चुके हैं.
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