पानीपत । इस वर्ष होली के पावन पर्व पर महासंयोग बन रहा है, जो 499 साल के बाद आ रहा है. इस महासंयोग में चन्द्रमा कन्या राशि में रहेगा, जबकि बृहस्पति व शनि अपनी अपनी राशियों में विराजमान रहेंगे. इससे पहले ऐसा महासंयोग 1521 ईस्वी पूर्व में बना था.
होली पर रंगों को लेकर भी स्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है. ये दोनों ही योग रंगों को लेकर बेहद शुभ माने जाते हैं. यह जानकारी हनुमान वाटिका में स्थापित मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विशाल शर्मा ने दी. बता दें कि होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को उत्साह के साथ मनाया जाता है. विशाल शर्मा ने बताया कि इस साल 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, जबकि 29 मार्च को रंगों के साथ होली खेली जाएगी.
शुभ मुहूर्त का समय
28 मार्च रविवार के दिन शाम 6 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 56 तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा. पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को सुबह करीब साढ़े तीन बजे से 29 मार्च की रात करीब सवा 12 बजे तक रहेगी.
28 मार्च तक रहेंगे होलाष्टक
पुजारी शर्मा ने बताया कि हिन्दू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इसी समयावधि को होलाष्टक कहा जाता है. होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े सभी काज किए जाते हैं.
क्या होते हैं होलाष्टक
पंडित विशाल शर्मा ने बताया कि हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिरण्यकश्यप ने आठ दिन पहले अपने पुत्र प्रह्लाद को बहुत प्रताड़ित किया था. भगवान विष्णु की प्रह्लाद भक्त पर बहुत कृपा थी, इसलिए हर बार वह उनसे बच जाते थे. तभी से होली से आठ दिन पहले होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था. अपने अहंकारी भाई के कहने पर होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठे गई, लेकिन श्री हरि विष्णु की कृपा से प्रह्लाद के प्राण बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई.
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