स्पेशल स्टोरी: हरियाणा की इस सीट पर बीजेपी को कभी नहीं मिली जीत, दिलचस्प है यहां का इतिहास

पानीपत | हरियाणा में विधानसभा चुनावों (Haryana Vidhansabha Chunav) का बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियां अपना दम खत्म दिखाने की तैयारी में हैं. हर एक सीट पर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी सीट भी बताएंगे, जहां का राजनीतिक इतिहास अनोखा ही रहा है.

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यहीं से हुए हैं सबसे ज़्यादा पलटीमार नेता

जिस विधानसभा सीट की हम बात कर रहे हैं, वह पानीपत जिले में स्थित है. यहीं से सबसे ज्यादा दल- बदलू नेता भी हुए हैं. ऐसा एक बार भी नहीं हो पाया जब यहां भाजपा का उम्मीदवार जीता हो. अबकी बार भारतीय जनता पार्टी की तरफ से समालखा सीट पर फरीदाबाद के रहने वाले पूर्व सांसद करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को टिकट सौपा है. ऐसा करने के पीछे पार्टी की मंशा यह जताई जा रही है कि दूसरी पार्टियों के टिकट पर समालखा से करतार सिंह भड़ाना दो बार विधायक बन चुके हैं.

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ऐसा रहा है राजनितिक इतिहास

साल 1967 के विधानसभा चुनावों में राव वीरेंद्र सिंह और 1996 में चौधरी बंसीलाल की सरकार के पतन के दौरान तत्कालीन विधायक पर दल- बदली के आरोप लगे थे. उस समय चौधरी बंसीलाल की सरकार गिराने में सबसे बड़ा रोल करतार सिंह भड़ाना का बताया जाता था. साल 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस की तरफ से विधायक चुनकर आए धर्म सिंह छोकर रातों- रात पाला बदल गए और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शरण में चले गए, लेकिन मंत्री बनने की जिस इच्छा से उन्होंने पाला बदला था, उनका वह सपना सपना ही रहा.

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BJP का नहीं खुला यहाँ से खाता

आज जिस समालखा को हम उत्तर भारत में कोल्हू के पार्ट्स और चारा काटने वाली मशीन के निर्माण के लिए जानते हैं, वह 1960 से पहले करनाल जिले का हिस्सा होता था. साल 1991 में देवीलाल सरकार ने नए समालखा की नींव रखी थी. इसे पानीपत जिले में शामिल किया गया. यहां हरियाणा विधानसभा की जनरल सीट है. कांग्रेस और भाजपा यहां के मुख्य दल माने जाते रहे हैं. यहां से सबसे अधिक पांच बार कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है. बीजेपी को आज तक जीत से वंचित ही रहना पड़ा है. हालांकि, निर्दलीय तक यहां से चुनाव जीत चुके हैं.

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