पानीपत में महंगाई और मंदी की मार झेल रहा कंबल उद्योग, 60 प्रतिशत तक मंदा हुआ व्यापार

पानीपत | हरियाणा के पानीपत का कंबल उद्योग (Panipat Blanket Industry) को इस साल बढ़ती महंगाई और मंदी की भारी मार झेल रहा है. इसका कारण मिंक और पोलर कंबल की मांग में भारी गिरावट है जिस वजह से प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं. गौरतलब है कि पानीपत का हैंडलूम उद्योग केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां बनने वाली कंबल और चादरें पूरी दुनिया के बाजारों में अपनी एक पहचान रखती है. एक वक्त वो भी था जब इसी कंबल इंडस्ट्री ने करोना काल के बाद चीन को पछाड़ते हुए पानीपत में कंबल व्यापार को बारह हजार करोड़ रुपये से लेकर बीस हजार करोड़ तक पहुंचा दिया था, लेकिन धागों के बढ़ते रेट ने इस इंडस्ट्री में मंदी ला दी है.

Kambal Blanket

बंद हुआ मशहूर एक्रेलिक कंबल का व्यापार

एक समय पर पानीपत एक्रेलिक कंबलों के लिए मशहूर था, लेकिन अब इस कंबल का व्यापार सिमट चुका है. इसके पीछे की वजह भी धागों के घटते-बढ़ते रेट हैं. अब तक लगभग सवा दोसौ बड़ी एक्रेलिक कंबलो की फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं अब केवल 25 फैक्ट्रियां ही बची हैं. इन फैक्ट्रियों के बंद होने के बाद पानीपत में सैकड़ों फैक्ट्रियां 150 से 200 टन तक मिंक कंबल का उत्पादन कर रही है, लेकिन धागे के बढ़ते रेट इस उत्पादन पर भी असर कर रही है.

क्यों महंगा हुआ कंबल

कंबल के उत्पादन जहां कम हो रहे हैं वहीं इनके दाम भी बढ़ रहे हैं इसके पीछे दो कारण है पहला यह कि मार्केट में चीन में बने कंबलों की मांग बढ़ रही है दूसरा कि चीन के मुकाबले पानीपत में बनने वाले कंबलों में प्रयोग होने वाले धागों की क्वालिटी कई ज्यादा है. जिस कारण पानीपत में बनने वाले कंबल की लागत में भी इजाफा हो रहा है जिससे कंबल महंगा होता जा रहा है.

सरकार की अनदेखी नीतियां हैं मंदी का कारण

फेडरेशन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमैन भीम राणा ने बताया कि ”5 से 7 साल पहले पचास हजार करोड़ रुपये का कंबल और बेडशीट भारत से एक्सपोर्ट किया जाता था. वहीं, पानीपत से भी काफी मात्रा में कंबल और बेडशीट एक्सपोर्ट किए जाते थे, लेकिन सरकार की कुछ अनदेखी नीतियों के कारण यह काम मंदी के कगार पर आ गया है.” हालत इतनी खराब हो गई है कि पानीपत का डोमेस्टिक मार्केट जहां से पूरे भारत देश में कंबल की सप्लाई की जाती थी वहां भी इस समय महंगाई की मार झेल रहा है.

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