पानीपत । पूरे देश में फैल रही वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना वायरस के दौरान हरियाणा के पानीपत जिले में एक कोरोना संक्रमित शव के अंतिम संस्कार में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. इस लापरवाही की वजह से कोरोना संक्रमित शव 18 दिनों तक पोस्टमार्टम हाउस यानी मोर्चरी में सड़ता रहा और जब इसकी बदबू से लोगों को परेशानी होने लगी, तब जांच की गई. तब मामला सामने आया. फिर जेब से बरामद किए गए मोबाइल फोन से परिवार वालों को इसकी जानकारी दी गई. सोमवार को कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया.
दरअसल इस युवक की मृत्यु 1 मई को हो गई थी. युवक की मृत्यु की खबर उसकी पत्नी को दी गई. खबर मिलते ही युवक की पत्नी बिहार से पानीपत के हॉस्पिटल पहुंची, तो उसे यह बोल कर वापस भेज दिया गया कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. अब सिविल हॉस्पिटल के स्वास्थ्य कर्मियों की इस बड़ी लापरवाही पर पीएमओ ने जांच के आदेश दिए हैं.
अपने पति के अंतिम संस्कार के लिए बिहार से पानीपत आई प्रतिमा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उसके 35 वर्षीय पति हीरालाल पानीपत की वधावाराम कॉलोनी में किराए के मकान पर रहते थे. वह सेक्टर 29 में एक फैक्ट्री में काम करते थे. उनकी तबीयत 28 अप्रैल को खराब हो गई थी. इसलिए उन्हें सिविल हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था.
हीरालाल की कोरोना से 29 अप्रैल को मृत्यु हो गई थी. जब प्रतिमा को इसकी खबर मिली तो वह 1 मई को सुबह सिविल हॉस्पिटल में पहुंच गई. जब वह एमरजैंसी में गई तो वहां पर उपस्थित स्टाफ मेंबर ने उन्हें जानकारी दी कि उनके पति का अंतिम संस्कार कोरोना गाइडलाइन के अनुसार कर दिया गया है. यह सुनकर वह बिहार वापस लौट गई.
इसके पश्चात बीते शनिवार को हॉस्पिटल से उनको फोन आया कि उनके पति का शव मोर्चरी में रखा हुआ है. अंतिम दर्शन कर लें और अपनी आंखों के सामने ही अपने पति का अंतिम संस्कार होते हुए देख लें. यह खबर मिलते ही वह दोबारा से पानीपत आई. पत्नी के अनुसार उनके पति का शव गल सड़ चुका था. उनका कहना है कि शव के साथ मानवीय व्यवहार किया गया था. जिन लोगों ने उन्हें गलत जानकारी दी थी उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए.
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