ख़ुलासा: पानीपत के लोगों की जिंदगी से हो रहा बड़ा खिलवाड़, सप्लाई हो रहा गंदा पानी

पानीपत । जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के ट्यूबवेल का पानी पेट, स्किन संबंधी रोग, सहित कैंसर परोस रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई में भाटिया कॉलोनी, सुखदेव नगर, पटेल नगर के अलावा पांच गांवों में पेयजल के नमूने लिए थे. ओटी (आर्थोतोलिडाइन टेस्ट) और बैक्ट्रीरियोलॉजिकल जांच में 19 सैंपल फेल हो गए हैं.

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डिप्टी सिविल सर्जन डॉ कर्मवीर चोपडा ने बताया कि किसी व्यक्ति ने भाटिया कॉलोनी में दूषित पेयजल की शिकायत विभाग से डीसी ऑफिस में की थी. कॉलोनी में पांच स्थानों से पेयजल के नमूने लिए थे. सभी अनफिट मिले हैं. इसी कड़ी में पटेल नगर से पांच, सुखदेव नगर से छह, बापौली से चार और खोतरपुरा से तीन, चुलकाना ट्यूबवेल से चार, माण्डी से तीन, पत्तिकल्याणा से चार सैंपल लिए थे. इनमें क्रमश 2, 2, 3, 2, 3,1 और एक स्थान पर पानी पीने लायक नहीं मिला. यानी पेयजल में क्लोरीन की मात्रा बहुत कम मिली है.

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मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तमाम बैक्टीरिया मौजूद मिले हैं. सिविल अस्पताल से सात सैंपल लिए गए थे सभी पास है. डॉक्टर चोपडा के मुताबिक जांच रिपोर्ट जनस्वास्थ्य विभाग को भेजते हुए शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए कहा है. ताकि पेयजल सेवन से कोई व्यक्ति बीमार न हो.

जून में 3485 स्थानों का पेयजल अनफिट

विभाग ने मार्च से जून तक शहर- गांव से 9710 नमूनों का ओटी किया था. इनमें से गया है. 3485 (35.89 फीसद) सैंपल फेल आए थे. 116 सैंपल बैक्टीरियोलॉजिकल टेस्ट के लिए भेजे थे, जिनमें से 15 फेल मिले थे.

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शुद्ध पेयजल संबंधित एजेंसी की जिम्मेदारी

केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण ने पेयजल आपूर्ति करने वाली एजेंसियों के नाम 29 जुलाई 2021 को एक नोटिस जारी किया है. इसमें स्पष्ट आदेश है कि पानी में टीडीएस (कुल ठोस की मात्रा) भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित समानकों के अनुरूप होनी चाहिए. आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) को प्राथमिकता देने के बजाय शुद्ध पेयजल आपूर्ति पर ध्यान दें.

TDS 100 से 200 के बीच

डॉक्टर चोपडा ने बताया कि पेयजल में टीडीएस 100 से 200 तक है तो वह ठीक है. किडनी मरीजों के लिए पचास से सो के बीच टीडीएस होना चाहिए.

क्या है TDS ?

पानी में घुली हुई चीजों को टीडीएस कहते हैं. जिसका पूरा नाम कुल विघटित ठोस है. इसमें साल्ट, कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम, सोडियम, कार्बोनेट, क्लोराइड्स है. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) टीडीएस सहन कर सकता है.

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अशुद्ध जल से होने वाली बीमारियां

(1) उल्टी- दस्त, आंतों में संक्रमण.

(2) पीलिया गले में इंफेक्शन.

(3) टायफाइड बुखार, स्किन एलर्जी.

(4) लगातार सेवन से किडनी में संक्रमण.

(5) नर्वस सिस्टम को नुकसान.

बता दें पानीपत के लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी हुई खबर है. पानीपत में पांच गांवों और तीन कॉलोनियों में सप्लाई होने वाला पानी प्रदुषित है. जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के ट्यूबवेलों के पानी से सेहत खराब हो सकती है. ऐसे में आप सावधान रहें.

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