हरियाणा में पंचायती चुनाव को लेकर बड़ी खबर, अब इस महीने से पहले नहीं होंगे पंचायत चुनाव

रोहतक | 23 फरवरी तक पंचायती राज संस्थाओं को भंग करके प्रशासक नियुक्त कर दिए जा सकते हैं. ऐसे में अब संस्थाओं के छठे आम चुनाव जून माह से पहले किसी भी स्थिति में आयोजित नहीं करवाए जा सकते हैं. अब यह पंचायती राज के चुनाव जून में भी तभी हाे सकते हैं, जब सरकार चुनाव से पहले की सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी लेती हैं. हालांकि, अब नई पंचायतों के गठन सरकार के पास विचारधीन है. ऐसे में यदि किसी एक पंचायत को दो पंचायतों में विभाजित करके चुनाव आयोजित करवाया जाता है तो फिर उस स्थिति में भी उसके लिए भी कम से कम 40 से 45 दिन का समय लग जाता है.

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रोहतक और पानीपत जिले के अतिरिक्त बाकि जिलों में नहीं हुई अभी तक वार्डबंदी

इसके अतिरिक्त महिलाओं के ऑड आरक्षण पर भी उच्च न्यायालय की तरफ़ से अन्तिम फ़ैसला नहीं आया है, इस मामले पर अभी भी गहनता से विचार विमर्श किया जा रहा है. जिसकी अगली सुनवाई अप्रैल माह की 20 तारीख़ को होनी है. ऐसे में न्यायालय आरक्षण को लेकर कोई फैसला भी अन्तिम निर्णय उसी दिन कर देगा. इसकी उम्मीद अभी भी कम ही है, ऐसा इसलिए क्योंकि, वर्ष 2015 में पंचायती राज संस्थाओं के उम्मीदवारों की योग्यता निर्धारण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.

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जिसके कारण पंचायतों के चुनाव आयोजित करवाने में छह सात माह तक देरी हो गई थी. ऐसे में बताय यह भी जा रहा है कि रोहतक और पानीपत जिले के अतिरिक्त बाकि सभी जिलों में अभी तक वार्डबंदी भी नहीं हुई है. ऐसे में चुनाव कब होंगे, इस बारे में पंचायत विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ नहीं कह पा रहा है. उनके लिए भी स्पष्ट रूप से कुछ भी कह पाना अभी भी काफ़ी मुश्किल है.

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न्यायालय में फंसा हुआ चुनाव

इस मामले में यह भी कहा जा सकता है कि वर्ष 2015 का पांचवा आम चुनाव जिस तरीके से कोर्ट कचहरी में फंस गया था बिल्कुल उसी प्रकार से ही वर्ष 2021 का इलेक्शन भी न्यायालय के चक्कर में फंस गया है. न्यायालय जब ऑड आरक्षण को लेकर निर्णय लेगा, उसके बाद ही सरकार पंचायती चुनाव की तैयारियां शुरू कर सकतीं हैं. अब यदि सरकार पंचायती चुनाव में देरी नहीं करना चाहती है तो ऐसे में फिर वार्डबंदी के साथ साथ दूसरी प्रक्रियाएं अप्रैल माह की 20 तक पूरी आवश्यक रूप से पुरी करवानी होगी. ऐसे में अब जिस दिन कोर्ट आरक्षण को लेकर निर्णय सुनाता है, तो फिर उसके तत्काल बाद ही सरकार राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव करवाने की सिफारिश भेज दे.

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नहीं हो रहा पत्र व्यवहार

जिला निर्वाचन अधिकारी पंचायत कार्यालय से ख़बर मिलने के बाद सूत्रों का कहना है कि 20 व 21 जनवरी के बाद राज्य निर्वाचन आयोग, विकास एवं पंचायत विभाग के बीच चुनाव को लेकर पत्र व्यवहार तक मुमकिन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में चुनाव जून माह में ही आयोजित करवाए जा सकते हैं. इस मामले को लेकर अभी भी संशय बन हुआ है.

किसान आंदोलन आ रहा चुनावों के आड़े 

कहा जा रहा है कि जब से प्रदेश में कृषि कानूनों को लेकर किसान व दूसरे संगठनों ने आंदोलन शुरू किया है, तब से ही सरकार ने पंचायत चुनाव के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

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