पानीपत | हरियाणा के पानीपत के सोंधापुर निवासी प्रेम सिंह ने घोड़ी बुग्गी चलाकर अपनी बेटी को थ्रोबॉल खेलने के लिए भेजा. उन्होंने उसे खेल का सामान भी मुहैया करवाया. उनके इस कदम पर पड़ोसियों ने तंज कसा की बेटी खेलेगी, तो बिगड़ जाएगी. जिससे परिवार की बदनामी हो जाएगी. अच्छा होगा कि पढ़ाई पर ध्यान दें. लेकिन पिता ने किसी की भी नहीं सुनी,बेटी को दोबारा से प्रोत्साहित कर के मैदान में भेजा.
राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते 25 पदक
प्रियंका ने भी अपने पिता का मान रखा और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 25 पदक जीते. बता दें कि खेल के बूते ही डीसी कार्यालय में क्लर्क की नौकरी भी पाई. अब वह अपने परिवार का सहारा बनी हुई है. उनका कहना है कि पिता ने आर्थिक संकट झेला, लेकिन कभी उन्हें खेल के सामान व अन्य संसाधन की कमी नहीं होने दी.
उन्होंने कहा कि अगर उनके पिता और माता का साथ नहीं होता तो वह कभी भी नहीं खेल पाती. उनका कोई भाई नहीं है. माता पिता ने उन्हें व बड़ी बहन ममता को बेटों से बढ़कर माना. अब वे जल्द ही पिता की घोड़ा बुग्गी छुड़वा देंगी, ताकि वे आराम कर सके. बता दें कि प्रेम सिंह मूल रूप से कैथल के खुरडा गांव के रहने वाले हैं.
ड्यूटी के बाद मैदान में अभ्यास करती है प्रियंका
21 वर्षीय प्रियंका ने बताया कि सीनियर सोनिया और निर्मल को थ्रोबॉल खेलते देखा था. वर्ष 2010 में शिवाजी स्टेडियम में कोच राजेश टूरण और राजेंद्र देशवाल से तकनीकी गुण सीखे. जब घर से स्टेडियम के लिए निकलती तो पड़ोसी तंज कसते थे. कई बार उनको सोचकर वह मैदान में रोई भी. तब कोचों ने उन्हें समझाया और हौसला बढ़ाया.
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