पानीपत | हरियाणा के पानीपत जिलें में स्थित, यमुना नदी की तलहटी में बसा यह गांव पत्थरगढ़, अनपढ़ता के पत्थर ने गांव की विकास गति पर ब्रेक लगा दिया है. इस गांव की ज्यादातर आबादी मुस्लिम समुदाय से हैं. कुछ दिन पहले गांव से पहली बार एक युवक को सरकारी नौकरी मिली तो ग्रामीणों को पढ़ाई का महत्व समझ में आने लगा. अब गांव वाले कह रहे हैं कि चाहे मज़दूरी करनी पड़े, कम खाएंगे लेकिन बच्चों को स्कूल जरुर भेजेंगे.
इस गांव में एक सरकारी स्कूल, एक प्राइवेट स्कूल व 2 मदरसे है लेकिन बच्चे आठवीं या दसवीं करने के बाद स्कूल की तरफ रुख नहीं करते और मज़दूरी करने लग जाते हैं. गांव के ही एक युवा ने इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर सरकारी नौकरी हासिल की है तो गांव वालों को पढ़ाई की उपयोगिता समझ में आने लगी.
गांव के सरकारी स्कूल के अध्यापक ने बताया कि गांव की ज्यादातर आबादी गरीब तबके से है और बच्चों को पढ़ाने की बजाय मज़दूरी करने में लगा देते हैं. उनकी धारणा है कि मज़दूरी करेंगे तो घर खर्च के लिए पैसे आएंगे. वैसे भी विशेष समुदाय की आबादी ज्यादा है जो बच्चों को कम पढ़ाने में ही विश्वास रखते हैं.
गांव के सरपंच ने कहा कि गांव में छोटे किसान व मज़दूरी करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है लेकिन अब पढ़ाई की ओर रुझान बढ़ाना ही होगा. गांव का राजकीय स्कूल भी आठवीं कक्षा तक अपग्रेड हो गया है. गांव से बाहर पढ़ने जाने के लिए हल्के के प्रतिनिधि से मिलकर रोड़वेज बसों की व्यवस्था करनी पड़ेगी.
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