चंडीगढ़ | हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने से भारतीय जनता पार्टी ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. तमाम पहलुओं पर विचार करते हुए बीजेपी ने पहले चरण के जिला परिषद चुनाव में सिर्फ 3 जिलों में ही पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वहीं, बाकी के छह जिलों में बीजेपी बगैर पार्टी सिंबल के चुनावी रण में उतरेगी. बता दें कि पहले चरण में जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य के लिए 30 अक्टूबर और पंच-सरपंच के लिए 2 नवंबर को मतदान होना है.
पंचकूला, यमुनानगर और नूंह जिले की जिला इकाइयों ने इसकी जानकारी प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व के पास भेज दी है. पहले चरण में हरियाणा में जिन 9 जिलों में चुनाव होंगे उनमें भिवानी, महेन्द्रगढ़, झज्जर, नूंह, पानीपत, पंचकूला, यमुनानगर, कैथल और जींद शामिल हैं. विशेषज्ञों ने बीजेपी के 6 जिलों में पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ने के पीछे तीन वजह बताई है.
ये हैं 3 प्रमुख वजह
- इन जिलों में पार्टी को आशंका है कि टिकट के लिए एक नहीं बल्कि कई प्रत्याशी खुद को दावेदार मान रहे हैं अगर एक प्रत्याशी को पार्टी सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारते हैं तो बाकी प्रत्याशियों की नाराज़गी बढ़ना लाजमी है. वहीं, बिना सिंबल जीतकर आने वाले प्रत्याशी को पार्टी अपना ही कार्यकर्ता बताकर एडवांटेज ले सकती है.
- बिना पार्टी सिंबल के चुनाव लड़ाया जाए तो दूसरी पार्टियों के वोट मिलने की पूरी संभावना बनी रहेगी. ये चुनाव स्थानीय स्तर पर होंगे तो ऐसे में प्रत्याशी के सामने पार्टीबाजी की बंदिश आड़े आए इसलिए भी भाजपा ने पीछे हटना ही बेहतर समझा है.
- किसान आंदोलन को भी बीजेपी के पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने से मना करना एक बड़ी वजह माना जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रभाव दिखाई दिया तो सिंबल की वजह से बीजेपी को विरोध झेलना पड़ेगा और वोट नहीं मिलेंगे. ऐसे में बीजेपी को राजनीतिक नुकसान पहुंचना तय है.