हरियाणा BJP का चौधरी बीरेंद्र सिंह को दोटूक जवाब, ओमप्रकाश धनखड़ का ताज़ा बयान आया सामने

चंडीगढ़ | पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ बीजेपी नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के बगावती तेवरों के बीच हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का एक बड़ा बयान सामने आया है. बता दें कि 2 अक्टूबर को जींद में आयोजित ‘मेरी आवाज़ सुनो’ रैली के दौरान उन्होंने कहा कि आगामी चुनावों में BJP- JJP पार्टियों का गठबंधन रहा तो वे भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कह देंगे.

Om Parkash Dhankar

बीरेंद्र सिंह की इस टिप्पणी पर BJP ने स्पष्ट कर दिया है कि यह भाजपा की नहीं बल्कि जजपा को लेकर बीरेंद्र सिंह के लिए अपनी सीट की लड़ाई है. धनखड़ ने कहा कि वे पहले भी यही बात कहते रहे हैं. जब मैं और पार्टी प्रभारी बिप्लब देब उनके यहां उचाना कार्यक्रम में गए थे तब भी उन्होंने यह बात कही थी. उनके क्षेत्र और उनकी सीट की कठिनाई है, इस नाते से वह यह बात कहते हैं.

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जजपा पार्टी से बीरेंद्र सिंह के विवाद की वजह

उचाना विधानसभा वही सीट है जहां से दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की थी और जीत भी कोई छोटी- मोटी नहीं थी बल्कि बीरेंद्र सिंह की पत्नी और उस समय की मौजूदा बीजेपी विधायक प्रेमलता को 47,452 वोटों के बड़े मार्जिन से पटखनी मिली थी.

वर्तमान में, हरियाणा में BJP- JJP गठबंधन सरकार है और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला कई बार ऐलान कर चुके हैं कि वे उचाना विधानसभा क्षेत्र से ही चुनावी रण में उतरेंगे. ऐसे में 2024 का विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियां मिलकर लड़ती है तो जजपा पार्टी BJP से उचाना सीट मांगेगी. इससे चौधरी बीरेंद्र सिंह के परिवार का पत्ता कट जाएगा. यही बड़ी वजह है कि वो लगातार पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे हैं.

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एक वजह यह भी

हिसार लोकसभा क्षेत्र से चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे ब्रिजेन्द्र सिंह बीजेपी सांसद का चुनाव जीते थे. अभी हाल ही में कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थामा था और वो भी कई बार हिसार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. हिसार और राजस्थान में बिश्नोई का आधार देख उनका दावा भारी पड़ सकता है. ऐसे में चौधरी बीरेंद्र सिंह (Chaudhary Birender Singh) को ये सीट भी जाती हुई दिख रही है.

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सियासी जानकारों का कहना है कि चौधरी बीरेंद्र सिंह अब अपने परिवार का राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ दबाव की राजनीति करने में लगे हुए हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेताओं से भी उनकी बढ़ती नजदीकियां जगजाहिर हो रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उचाना सीट को लेकर मचे घमासान में बाजी कौन मारेगा.

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