चंडीगढ़ | हरियाणा में BJP- JJP गठबंधन के भविष्य पर संकट के बादल छाए हुए हैं. लोकसभा चुनाव जैसे- जैसे नजदीक आ रहें हैं तो दोनों पार्टियों के सीनियर नेता एक- दूसरे को आंख दिखा रहे हैं, जिससे दोनों पार्टियों के बीच आर- पार की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
छुटकारा पाने की तैयारी में BJP
एक तरफ हरियाणा बीजेपी प्रभारी विपल्ब देव बार- बार कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी सभी 10 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी, तो वहीं JJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने दावा करते हुए कहा है कि भिवानी लोकसभा क्षेत्र से वो खुद या उनके बेटे दिग्विजय चौटाला चुनावी रण में होंगे. इसके बाद, कयास लगने शुरू हो गए हैं कि बीजेपी इसी साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले जजपा से छुटकारा पाना चाहती है.
शक की कोई गुंजाइश नहीं
हरियाणा बीजेपी प्रभारी विपल्ब देव बार- बार कह रहे हैं कि सभी 10 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल पर लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सभी 10 सीटों पर बीजेपी के ही सांसद चुने हुए हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि सभी 10 सीटों पर फिर से बीजेपी उम्मीदवारों को जीत हासिल होगी.
अजय चौटाला का बयान
जजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा है कि बीजेपी अपना काम कर रही है और हम भी लोगों के बीच जा रहें हैं. भिवानी लोकसभा क्षेत्र से वो खुद चुनाव लडेंगे लेकिन कुछ कानूनी अड़चनें है, जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. फ़रवरी तक ये अड़चनें दूर हो सकती है. यदि नहीं हुई तो दिग्विजय चौटाला भिवानी लोकसभा सीट से चुनावी रण में होंगे.
कोर कमेटी की बैठक में उठा था मुद्दा
पिछले सप्ताह पंचकूला में हुई बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में ज्यादातर नेताओं ने जजपा से किनारा करने की सलाह दी है. इन नेताओं का कहना था कि JJP से पीछा छुड़ाना ही बेहतर रहेगा और अकेले चुनाव लड़ना फायदे का सौदा साबित होगा. इसके बाद, दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच तल्खी बयानबाजी का सिलसिला जारी है. हालांकि, गठबंधन पर आखिरी फैसला बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व को ही करना है.
बीरेंद्र सिंह सबसे ज्यादा मुखर
बीजेपी के सीनियर नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने 2 अक्टूबर को जींद में “मेरी आवाज़ सुनो” कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि यदि BJP- JJP गठबंधन रहा तो वह पार्टी छोड़ देंगे. अभी पिछले दिनों उनके बेटे एवं हिसार लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद बृजेन्द्र सिंह का भी बयान सामने आया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि गठबंधन रहेगा तो वह बीजेपी में नहीं रहेंगे और आज भी हम अपनी बात पर कायम है.
सहयोगी खुद गठबंधन तोड़े, बीजेपी का यही स्टाइल
पिछले कुछ समय से बीजेपी का यही अंदाज रहा है कि उनसे जुड़ी पार्टी खुद गठबंधन से अलग हो जाए ताकि उनके सिर पर ठीकरा न फूटे. ऐसा ही पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हो चुका है. ये दोनों पार्टियां सालों तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रही. मगर आखिर में उन्होंने खुद ही गठबंधन तोड़ लिया. अब हरियाणा में भी बीजेपी इसी फॉर्मुले के साथ चल रही है और लगातार तल्ख बयानबाजी कर JJP को उकसा रही है ताकि वो गठबंधन तोड़ने का फैसला ले सकें.
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