नई दिल्ली | ऐसी संभावनाएं प्रतीत हो रही है कि कांग्रेस हाईकमान (Congress) ने पंजाब की भूल से हरियाणा में सबक सीखा है. बता दें कि पार्टी आलाकमान कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) वाली कहानी हरियाणा में दोहराने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि पार्टी हाईकमान हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) को ‘फ्री हैंड’ देने के मूड में नजर आ रहा है.
आज की बैठक पर सबकी निगाहें
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि हरियाणा कांग्रेस के नेताओं और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच आज होने जा रही बैठक के बाद पार्टी का चेहरा-मेहरा बदला हुआ नजर आ सकता है. पार्टी से असंतुष्ट नेताओं की बढ़ती गतिविधियों और पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अनदेखी के चलते हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए पार्टी हाईकमान हरियाणा में किसी भी तरह का रिस्क उठाने के मूड में नहीं है.
पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस हाईकमान द्वारा हरियाणा में बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने के पीछे की बड़ी वजह यह है कि पार्टी के 31 विधायकों में से 26 हुड्डा समर्थित है और पार्टी प्रदेश में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए हुड्डा को लीड रोल में देखना चाहती है. दूसरा हुड्डा G-23 समूह के असंतुष्ट नेताओं और पार्टी हाईकमान के बीच दूरियां खत्म करने को लेकर भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि हुड्डा को हरियाणा में अपने हिसाब से फील्डिंग जमाने के लिए फुल पावर दे दी जाएं.
हुड्डा को सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट कराने की कोशिश करेंगे समर्थक
हरियाणा में कांग्रेस नेताओं के बीच गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है. पिछले आठ सालों में प्रदेश में प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस पार्टी का संगठन खड़ा नहीं हो पाया है. कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था ताकि वो राज्य में संगठन खड़ा कर सकें लेकिन अब तक यह नहीं हो पाया है. प्रदेश में कांग्रेसी नेताओं को एकजुट रखने व संगठन खड़ा करने में नाकाम हो चुके प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल ने इसकी जिम्मेदारी खुद पर लेकर पार्टी हाईकमान को पूरी रिपोर्ट सौंप दी है.
विवेक बंसल ने कहा है कि हरियाणा में पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठन खड़ा करना बहुत जरूरी है. बताया जा रहा है कि आज की मीटिंग में राहुल गांधी हरियाणा कांग्रेस के सभी नेताओं से आपसी मतभेद भुलाकर पार्टी की मजबूती के लिए काम करने का आग्रह करेंगे. इस बैठक में जो भी सहमति बने लेकिन हुड्डा खेमे की अपनी रणनीति तय हो चुकी है. चर्चा के विपरित पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा विधायक दल के नेता बनें रहना चाहेंगे.
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