चंडीगढ़ | लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और हरियाणा में कांग्रेस पार्टी (Haryana Congress) गुटबाजी के चलते अभी तक अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. वहीं, सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भले ही सभी 10 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हो लेकिन गुटबाजी की संभावना से यहां भी इंकार नहीं किया जा सकता है. आधी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को स्थानीय नेताओं और उनके समर्थकों के भितरघात की आशंका चिंता में डाल रही है.
वहीं, शीर्ष नेतृत्व को इसकी भनक लगी तो हरियाणा बीजेपी के दिग्गज नेताओं को एक- दूसरे के प्रति नाराजगी को दूर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बता दें कि इस बार भारतीय जनता पार्टी ने 10 लोकसभा सीटों में से 5 पर नए प्रत्याशियों को चुनावी रण में उतारा है.
अंबाला लोकसभा क्षेत्र से दिवंगत रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को सहानुभूति के तौर पर टिकट दी गई है. ऐसे में इन 6 लोकसभा सीटों पर अंदरखाते विरोध या फिर स्थानीय नेताओं द्वारा खुलकर साथ नहीं देने की आंशका है और बीजेपी द्वारा कराए गए सर्वे में भी यह बात सामने आई है. हालांकि, बीजेपी नेताओं का कहना है कि भितरघात शब्द कांग्रेस पार्टी में हैं. बीजेपी अनुशासित पार्टी है और हर एक कार्यकर्ता या नेता पार्टी के प्रति समर्पित है.
सिरसा लोकसभा क्षेत्र की स्थिति
सिरसा लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल की टिकट काटकर उनकी जगह पर अशोक तंवर को प्रत्याशी घोषित किया गया है लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान तंवर को गांवों में जबरदस्त विरोध झेलना पड़ रहा है. बीजेपी के स्थानीय नेता उन्हें अपना नही पा रहे हैं. दल- बदलू की मोहर और लंबे समय से सिरसा से दूरी उनकी परेशानी को और बढ़ा रही है.
अंबाला में विज की नाराज़गी
अंबाला लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार बंतो कटारिया के पति रतनलाल कटारिया का अनिल विज से 36 का आंकड़ा रहा है. वहीं, नायब सैनी की नई सरकार से विज की नाराज़गी जगजाहिर हो चुकी है. वे संगठन की बैठकों में शामिल नहीं हो रहें हैं. अंबाला प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए उनके घर से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर रैली का आयोजन हुआ था और उसमें भी अनिल विज नहीं पहुंचे थे.
आसान नहीं कुरूक्षेत्र का रण
कुरूक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए नवीन जिंदल को प्रत्याशी बनाया है. पार्टी में नया होने और दस सालों से कुरूक्षेत्र से दूरी समेत स्थानीय नेताओं का खुलकर साथ नहीं आना उनके लिए चुनौती बन गया है. डीडी शर्मा, पूर्व विधायक पवन सैनी, पूर्व सांसद कैलाशों सैनी जैसे बड़े चेहरे चुनाव प्रचार के दौरान साथ नहीं दिख रहें हैं. वहीं, साथ ही नवीन जिंदल पर कोयला घोटाले के आरोप लगाकर विपक्षी दल उन्हें घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
हिसार में चौटाला से नेताओं की दूरी
ताऊ देवीलाल के वोट बैंक को साधने के लिए हिसार लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने रणजीत चौटाला को प्रत्याशी घोषित किया है. वे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के भी विश्वासपात्र माने जाते हैं लेकिन भीतरघात का सबसे अधिक खतरा इसी सीट पर बना हुआ है. बीजेपी के बड़े नेता कैप्टन अभिमन्यु उनके साथ नहीं दिख रहें हैं तो वहीं कुलदीप बिश्नोई परिवार भी खुलकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुका है. इसके अलावा, चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें भी किसानों के विरोध को झेलना पड़ रहा है.
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