चंडीगढ़ | हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जननायक जनता पार्टी (JJP) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. नूंह हिंसा पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बयान के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, उन्होंने बुधवार को कहा था कि बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा के आयोजकों ने पहले नूंह जिला प्रशासन को पूरी जानकारी नहीं दी थी.
इस वजह से हुई हिंसा
अधूरी जानकारी के कारण नूंह में हिंसक झड़प और सांप्रदायिक तनाव हो सकता है. सत्ताधारी बीजेपी और जेजेपी के बीच दरार के संकेत बार- बार सामने आ रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं कि 2019 की हार के बाद से सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर दरार कैसे बढ़ती जा रही है…
मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अनिल विज समेत बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने कहा कि मोनू मानेसर यात्रा में मौजूद नहीं थे. सीएम मनोहर लाल ने कहा, “मोनू मानेसर पर राजस्थान में केस चल रहा है. हमने राजस्थान सरकार को आश्वासन दिया है कि हम उसकी हर तरह से मदद करेंगे. राजस्थान पुलिस उसकी तलाश कर रही है. हमारे पास उसके ठिकाने की जानकारी है, कोई इनपुट नहीं है. डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि जो लोग खुद को गौरक्षक कहते हैं, असल में वो खुद गाय नहीं रखते जो गंभीर चिंता का विषय है.
बीजेपी- जेजेपी गठबंधन की अलग-अलग वजह
दुष्यंत चौटाला का दावा है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद स्थिर सरकार स्थापित करने के लिए स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव के दो-दलीय गठबंधन बनाया गया था. उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2019 में चुनाव के बाद अमित शाह की मौजूदगी में सहयोग पर चर्चा हुई थी. हरियाणा बीजेपी प्रभारी बिप्लब कुमार देब के मुताबिक, जेजेपी का समर्थन कोई विशेष ऑफर नहीं बल्कि मंत्री पद के लिए डील थी.
क्या कह रहे हैं राजनीतिक विशेषज्ञ
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बीजेपी- जेजेपी गठबंधन वैचारिक सिद्धांतों पर आधारित नहीं है. दोनों दलों की ओर से गठबंधन के नफा- नुकसान का आकलन किया जा रहा है. अपने- अपने मतदाता आधार को ध्यान में रखते हुए, दोनों दल तय करेंगे कि 2024 में आगामी राज्य और लोकसभा चुनावों के लिए अपने गठबंधन को कैसे आगे बढ़ाया जाए.
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