हिसार | हरियाणा में 56 साल से भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले हिसार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आदमपुर में इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चौधरी भजनलाल 1968 में पहली बार विधायक बने थे और तब से जितने भी चुनाव हुए, सभी में भजनलाल परिवार ही आदमपुर से जीतता रहा था.
दिवंगत भजनलाल की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में रहकर आगे बढ़ा रहे हैं और उनके बेटे भव्य बिश्नोई 2022 में बीजेपी की ओर से आदमपुर उपचुनाव में जीत हासिल कर विधायक बने थे. इस लोकसभा चुनाव में आदमपुर से रणजीत चौटाला को जीत दिलाने की पूरी जिम्मेदारी कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे बीजेपी विधायक भव्य बिश्नोई पर थी और पार्टी ऐसी आस भी लगाएं बैठी थी.
आदमपुर से जेपी को मिली बढ़त
हालांकि, इस बार भजनलाल परिवार का सदस्य हिसार लोकसभा सीट से उम्मीदवार नहीं था, लेकिन भाजपा के समर्थन में वोट जरूर करने की अपील की गई थी. इसके बाद भी हिसार से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार रणजीत चौटाला को आदमपुर में 53,156 वोट ही मिले, जबकि कांग्रेस के जयप्रकाश उर्फ जेपी 59,544 वोट पाने में कामयाब रहे. इस तरह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जयप्रकाश ने 6,384 वोट से आदमपुर में जीत हासिल कर भजनलाल के अभेद्य दुर्ग को ढहा दिया.
हाथ जोड़ना भी काम नहीं आया
हिसार लोकसभा सीट से रणजीत चौटाला को टिकट मिलने पर शुरूआत में बिश्नोई परिवार ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी, लेकिन बाद में पहले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और फिर सीएम नायब सैनी से मुलाकात के बाद कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई चुनाव प्रचार अभियान में शामिल हुए. आदमपुर में राजनीतिक जीवन पर हार के खामियाजे की स्थिति को भांपते हुए कुलदीप बिश्नोई ने बार- बार लोगों के सामने हाथ जोड़कर बीजेपी के समर्थन में वोटों की अपील की.
कुलदीप बिश्नोई चुनाव प्रचार के दौरान हाथ जोड़कर कहते रहे कि मेरी लाज रखना, कहीं गलत कदम मत उठा लेना. आप लोगों का और हमारा कई पीढ़ियों से नाता है, लेकिन कुलदीप बिश्नोई की अपील को लोगों ने अनसुना कर दिया. बिश्नोई बाहुल्य गांवों में भी कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश को बढ़त मिली है.
बिश्नोई परिवार के लिए आगे क्या?
आदमपुर में बीजेपी प्रत्याशी की हार ने कुलदीप बिश्नोई के लिए राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है. इसका खामियाजा उन्हें बीजेपी में रहकर ही भुगतना पड़ेगा. इसके अलावा उनके पास अब कोई ऑप्शन भी नहीं है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि कुलदीप बिश्नोई रणजीत चौटाला को आदमपुर से जीतवा देते तो उनके बेटे भव्य बिश्नोई को हरियाणा मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती थी और चर्चा ये भी थी कि बीजेपी की ओर से ऐसा ऑफर दिया गया था.
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