हिसार | हरियाणा में आदमपुर के चुनावी रण की तस्वीर साफ हो गई है. चारों प्रमुख दलों के उम्मीदवार मैदान में आ गए हैं. BJP से भव्य बिश्नोई और आप से सतेंद्र सिंह पर्चा भर चुके हैं, कांग्रेस के उम्मीदवार जयप्रकाश और इनेलो से कुरड़ा नंबरदार शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे. चुनाव मैदान में चारों उम्मीदवारों का कड़ा इम्तिहान होने वाला है. हार-जीत में अनेक समीकरण काम करेंगे. जीत के लिए सभी दलों ने अपने-अपने हिसाब से बिसात बिछानी शुरू कर दी है. नाराज नेताओं की हार-जीत तय करने में अहम भूमिका रहने वाली है. हालांकि, कांग्रेस और आप के रणनीतिकार टिकट न मिलने से खफा साथियों की मान-मनोव्वल में कर रहे हैं. भाजपा से अधिक यह चुनाव कुलदीप बिश्नोई के लिए इज्जत का सवाल है.
उन्हें भाजपा में आने के बाद खुद को साबित तो करना ही है पिता भजनलाल का गढ़ भी बचाना है. बेटे का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने की जिम्मेदारी भी उन पर है. कांग्रेस टिकट पर भव्य लोकसभा चुनाव हार चुके हैं इसलिए विधानसभा के पहले चुनाव में हर हाल में जीत दर्ज करना चाहते हैं.
जेपी हिसार से तीन बार रह चुके सांसद
जेपी हिसार संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके. दो बार अलग-अलग जगह से विधायक भी रहे. हालांकि, आदमपुर उन्हेें रास नहीं आया. 2009 में यहां से शिकस्त खा चुके हैं. राजनीतिक करियर जिंदा रखने के लिए जीत जरूरी है. आदमपुर में उन्हें भाजपा, आप और इनेलो के साथ ही पार्टी के बागी नेताओं के साथ भी लड़ाई लड़नी होगी. उन्हें वे साथ ले आते हैं तो ही डगर आसान होगी क्योंकि बगावत के चलते उनकी राह में कांटे बहुत हैं.
कुरड़ा राम और सतेंद्र के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. दोनों दल-बदल करते आ रहे हैं. कुरड़ा राम हविपा से 2000 में चुनाव लड़ चुके. कांग्रेस में लंबे समय तक रहे लेकिन टिकट न मिलने पर इनेलो का चश्मा पहन लिया. सतेंद्र सिंह भी कांग्रेस और भाजपा में रहने के बाद आप से किस्मत आजमा रहे हैं. उन्होंने 2014 में कांग्रेस से आदमपुर में चुनाव लड़ा था. उन्हें टिकट देने से आप नेताओं में भी नाराजगी है.
चारों नेताओं की ताकत और कमजोरी
भव्य बिश्नोई (BJP)
ताकत : पूर्व मुख्यमंत्री दादा भजनलाल की विरासत. दादा ने इतने काम किए और रोजगार दिए कि जनता आज तक एहसानमंद है. बिश्नोई समाज में अच्छी पकड़. पिता कुलदीप बिश्नोई का लोगों में रसूख.
कमजोरी : आदमपुर की जनता से कम जुड़ाव. परिवारवाद का ठप्पा. दल-बदल के कारण छवि को नुकसान. विदेश में पढ़ाई के कारण क्षेत्र की संस्कृति का कम ज्ञान.
जयप्रकाश उर्फ़ जेपी (Congress)
ताकत : तीन बार सांसद रहे, क्षेत्र का पूरा ज्ञा. मिलनसार- ईमानदार छवि. भाई जेपी और दिलेर नेता के नाम से ग्रामीणों में मशहूर. ताऊ देवीलाल के साथ काम कर चुके.
कमजोरी : 13 साल आदमपुर के लोगों की सुध न लेना. बाहरी का ठप्पा. क्षेत्र में कांग्रेस का संगठन न होना. बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी.
कुरड़ा राम (INLD)
ताकत : जल संघर्ष करने से किसानों में पैठ. नहरी पानी टेल तक पहुंचाने की लड़ाई लड़ रहे. धरने-प्रदर्शन करने से लोगों में पहचान.
कमजोरी : दल-बदल का ठप्पा. जमीनी स्तर पर पैठ नहीं. कार्यकर्ताओं की फौज न होना. वित्तीय रूप से कमजोर. इनेलो का कमजोर प्रदर्शन.
सतेंद्र सिंह (AAP)
ताकत : अरविंद केजरीवाल के चेहरे का लाभ. आप से लोगों को नया करने की आस. कांग्रेस विरोधी अंदरखाने आ रहे केजरीवाल के साथ.
कमजोरी : खुद की धरातल पर पैठ नहीं. आप नेताओं का विरोध. बिरादरी में भी रसूख नहीं. आप का कमजोर संगठन.
नोट: यह खबर अमरउजाला डिजिटल वेबसाइट सोर्स के अनुसार लिखी गयी है.
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