हरियाणा में सियासी हलचल तेज: कैबिनेट में बदलाव की चर्चा जोरो- शोरो पर, 3 जुलाई को केंद्र की अहम बैठक

चंडीगढ़ | मौजूदा समय में सबकी निगाहें 3 जुलाई को होने वाली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक पर हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बैठक में केंद्रीय कैबिनेट में बदलाव की चर्चा है. जिससे हरियाणा में सियासी हलचल तेज हो गई है. राजनीतिक गलियारों में मोदी कैबिनेट में हरियाणा का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की अटकलें चल रही हैं. इसकी मुख्य वजह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव हैं. विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने पर सीएम खट्टर सहमत हैं.

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2014 में थे हरियाणा से 4 मंत्री

2014 में हरियाणा से चार चेहरे मोदी कैबिनेट का हिस्सा थे. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर को मंत्री बनाया गया जबकि चौधरी बीरेंद्र सिंह और सुरेश प्रभु हरियाणा से राज्यसभा पहुंचे. इसके बाद, उन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई. दिवंगत सुषमा स्वराज भी हरियाणा के अंबाला की रहने वाली थीं.

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जातीय गणित भी समझें

वर्तमान में, सुनीता दुग्गल हरियाणा से अनुसूचित जाति से एकमात्र सांसद हैं. ब्राह्मण समुदाय से दो सांसद हैं. उन्होंने हुड्‌डा पिता- पुत्र को हराया था. इनमें सोनीपत से रमेश कौशिक ने पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुडडा को और रोहतक से दीपेन्द्र हुडडा को डॉ. अरविन्द शर्मा ने हराया. इसके अलावा, पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह जाट समुदाय से हैं. दूसरी तरफ सैनी समाज से नायब सैनी और पंजाबी समाज से संजय भाटिया सांसद हैं. अब देखना होगा कि अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होता है तो क्या हरियाणा से कोई चेहरा शामिल होगा या नहीं.

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हरियाणा की सभी सीटों पर खिला था कमल

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा में प्रचंड जीत मिली थी. हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतकर बीजेपी ने इतिहास रच दिया था. मोदी के दूसरे कार्यकाल में हरियाणा से तीन चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया गया. इनमें गुड़गांव के सांसद राव इंद्रजीत सिंह को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री और अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया को जल शक्ति राज्य मंत्री बनाया गया. हालांकि, बाद में कटारिया से मंत्री पद वापस ले लिया गया.

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