चंडीगढ़ | हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने के साथ ही प्रदेश में मंत्रीमंडल में बदलाव तथा विस्तार की कवायद शुरू हो गई है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल भले ही इस बात को नकार रहे हों कि उनकी इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ कोई चर्चा नहीं हुई हों. लेकिन उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला चाहते हैं कि उनकी पार्टी के कोटे से एक मंत्री को जल्द मंत्रीमंडल में शामिल किया जाए. अपने इसी मकसद को पूरा करने के उद्देश्य से दुष्यंत चौटाला शुक्रवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दिल्ली में दो दिन का प्रोग्राम था . जिसके अंतर्गत वे दिल्ली में रहकर केन्द्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय नेताओं और आरएसएस के प्रमुख लोगों से मुलाकात करने वाले थे. लेकिन मुख्यमंत्री सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करके वापस चंडीगढ़ लौट आए. मुख्यमंत्री के लौटते ही उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का दिल्ली जाने का कार्यक्रम तय हो गया. दुष्यंत शुक्रवार को दिल्ली पहुंचेंगे.
अविश्वास प्रस्ताव से पहले इसी भरोसे पर विधायकों को एकजुट कर पाएं थे उपमुख्यमंत्री
हरियाणा मंत्रिमंडल में दो मंत्री शामिल किए जाने हैं. एक मंत्री भाजपा व दूसरा मंत्री जजपा के कोटे से होगा. पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी द्वारा लाएं गए अविश्वास प्रस्ताव पर इसी भरोसे के सहारे दुष्यंत अपने विधायकों को एकजुट रख पाए थे.उस समय दुष्यंत चौटाला को अपनी पार्टी के सभी 10 विधायकों को डिनर पर इकट्ठा करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, लेकिन वे इसमें कामयाब रहे थे. मुख्यमंत्री की दुष्यंत के घर सभी विधायकों से मुलाकात हुई थी.
जजपा नेताओं को लगता है कि मंत्रीमंडल के विस्तार में देरी पार्टी में विद्रोह का कारण बन सकती है. इसलिए किसी भी तरह के विरोध से बचने के लिए उपमुख्यमंत्री जल्द से जल्द मंत्रीमंडल का विस्तार चाहते हैं. हाल ही में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के गठन में भी दुष्यंत चौटाला की पसंद को तवज्जो दी गई है. कई बोर्ड और निगमों के पद अभी भी खाली पड़े हैं, दुष्यंत चौटाला चाहते हैं कि इन पर उनके विधायकों की ताजपोशी कर दी जाएं. इसी तरह कुछ निर्दलीय विधायक , जिन्होंने कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव गिराने में सरकार की मदद की थी,वे भी इसका इनाम किसी बड़े रुप में चाहते हैं. लिहाजा दुष्यंत की दिल्ली दौड़ को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
भाजपा अपने लिए उचित अवसर की तलाश में
भाजपा अपने कोटे से मंत्री बनाने को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है. अभी कालका और ऐलनाबाद सीट पर उपचुनाव भी होना है. बोर्ड व निगमों के चेयरमैंन पदों पर नियुक्ति बाकी है, जबकि कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव भी किया जा सकता है. इन सारी चीजों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्तर पर भी मंथन चल रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि पूरी तरह मंथन करके भाजपा न केवल अपने कोटे से मंत्री बनाएगी, बल्कि कुछ मंत्रियों के पर कतरते हुए उनके विभागों में बदलाव किया जाएगा.
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