चंडीगढ़ | हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी (Congress) द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद टिकट के दावेदारों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां टिकट आवंटन के बाद बाकी दावेदारों की नाराजगी बढ़ गई है. इन दावेदारों ने टिकट कटने के बाद अपने- अपने समर्थकों की बैठक बुलाकर कांग्रेस हाईकमान के प्रति अपना गुस्सा जाहिर किया है.
गुरुग्राम में हुड्डा पर षड्यंत्र का आरोप
गुरुग्राम लोकसभा सीट से टिकट के सबसे मजबूत दावेदार कांग्रेस ओबीसी सेल के प्रधान कैप्टन अजय यादव थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनकी जगह पर फिल्म अभिनेता राज बब्बर को प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि, राज बब्बर को टिकट देने की औपचारिक रूप से कैप्टन ने तारीफ की है, लेकिन साथ ही हुड्डा पर यह आरोप लगा दिया कि हरियाणा कांग्रेस के कुछ नेता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने का षड्यंत्र रच रहे हैं.
आज उनके विधायक बेटे चिरंजीव राव ने अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान से हमारी टिकट काटने की वजह पूछी जाएगी. पिछले लंबे समय से हम लोकसभा क्षेत्र में लोगों के मुद्दों को उठा रहे थे. पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रहे थे, लेकिन बाहरी उम्मीदवार उतार कर पार्टी ने हमारी अनदेखी की है.
भिवानी- महेंद्रगढ़ में सबसे ज्यादा असर
कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी का सबसे ज्यादा असर भिवानी- महेंद्रगढ़ सीट पर देखने को मिल रहा है. कांग्रेस हाईकमान ने यहां से राव दान सिंह को टिकट दिया है, जबकि कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला यहां से श्रुति चौधरी के लिए पैरवी कर रहे थे. राव दान सिंह हालांकि किरण को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. किरण ने उनसे बातचीत करने में रुचि भी दिखाई है, मगर वे चुनाव में राव दान सिंह का साथ देंगी, इसकी कम ही संभावना नजर आ रही है. किरण चौधरी और श्रुति भिवानी में समर्थकों की बैठक बुलाकर घोषणा कर चुकी हैं कि वे पार्टी के फैसले के साथ हैं.
फरीदाबाद में हुड्डा के समधी के बगावती तेवर
पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा से सबसे ज्यादा नाराजगी उनके समधी करण दलाल दिखा रहे हैं. वो फरीदाबाद लोकसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व राजस्व मंत्री महेंद्र प्रताप को उम्मीदवार घोषित कर दिया. वो 20 साल पहले वर्तमान में फरीदाबाद सीट से बीजेपी प्रत्याशी कृष्ण पाल गुर्जर को हरा चुके हैं.
हुड्डा हालांकि करण दलाल की टिकट की पैरवी कर रहे थे, लेकिन जातीय समीकरण आड़े आ गए. वहीं, टिकट कटने पर करण दलाल ने भी अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी और उसमें उन्होंने बयान दिया था कि वह ईंट से ईंट बजाना जानते हैं. दलाल पर फरीदाबाद से निर्दलीय चुनाव लड़ने का दबाव है. हुड्डा के सामने दलाल यह कदम उठा पाएंगे, इसकी संभावना भी कम ही दिखाई दे रही है.
लोकसभा के नतीजों का विधानसभा पर पड़ेगा असर
हुड्डा गुट के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने बिना किसी गुटबाजी के मजबूत उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, लेकिन SRK गुट (सैलजा- रणदीप सुरजेवाला- किरण चौधरी) उनकी इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.
कांग्रेस हाईकमान द्वारा जिस तरह से हुड्डा की पसंद के टिकट बांटे गए हैं, उससे यह बात तो साफ हो गई है कि इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी हुड्डा की पसंद- नापसंद का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन यह लोकसभा चुनाव के नतीजों पर काफी हद तक निर्भर रहने वाला है.
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