चंडीगढ़ | प्रदेश में सम्पन्न हुए शहरी निकाय चुनावों में मिली सफलता से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी अब पंचायत चुनाव भी पार्टी सिंबल पर लड़ने की संभावना तलाश रही है. बीजेपी प्रदेश स्तरीय चुनाव समिति की बैठक में सहमति बनी तो जिला परिषद के चुनाव कमल के फूल के सिंबल पर लड़े जा सकते हैं.
गांव में अच्छा प्रदर्शन दोहराना बड़ी चुनौती
इससे पहले बीजेपी ने पंचायत चुनाव कभी पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा है . बीजेपी यदि सिंबल पर पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला करती है तो गठबंधन में शामिल जजपा तथा कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है.
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को बदलनी पड़ेगी रणनीति
हरियाणा में पंचायत चुनाव का बिगुल किसी भी समय बज सकता है. हरियाणा सरकार मन बना चुकी है कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के प्रविधानों के बिना पंचायत चुनाव होंगे. 18 नगर परिषद व 28 नगर पालिकाओं में हुए चुनाव में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन रहा है जबकि गठबंधन सरकार में शामिल जजपा पार्टी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई. हालांकि जजपा पार्टी लगातार दलील दे रही है कि वह ग्रामीण क्षेत्र की पार्टी है.
बीजेपी को आमतौर पर शहरी क्षेत्र की पार्टी माना जाता है और शहरी निकाय चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली बीजेपी के सामने पंचायत चुनावों में इसी शानदार प्रदर्शन को दोहराना बड़ी चुनौती होगी. भाजपा के रणनीतिकार भी चाहते हैं कि उनकी पार्टी पर सिर्फ शहरी क्षेत्र की पार्टी होने का ठप्पा न लगें. इसलिए पंचायत चुनावों में गांवों में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर पूरी कोर टीम का खास फोकस रहेगा.
इसी रणनीति के तहत पार्टी जिला परिषद के चुनाव सिंबल पर लड़ने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगी. सरपंच और पंचों के चुनाव बिना सिंबल के लड़े जाएंगे. फिलहाल बीजेपी के इस कदम से विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और उन्हें भी अपनी तैयारियों में बदलाव करना पड़ सकता है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!