रेवाड़ी | 8 साल के इंतजार के बाद अब गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) अस्पताल मिलने जा रहा है. यह देश का 22वां एम्स होगा जो रेवाडी जिले के माजरा में बनने जा रहा है. इसके लिए 200 एकड़ जमीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी गई है. एम्स की चारदीवारी बनाने के लिए 20 करोड़ का टेंडर जारी किया गया है. जल्द ही पीएम मोदी द्वारा इसका शिलान्यास किया जाएगा. केंद्र सरकार में मंत्री और गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र से सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि 200 एकड़ जमीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी गई है.
बनेगा इतने बेड का अस्पताल
राव ने बताया कि रेवाडी एम्स में कुल 750 बेड का अस्पताल होगा और ओपीडी में रोजाना 1500 मरीज देखे जाएंगे. इतना ही नहीं इसमें आयुर्वेद समेत प्राचीन चिकित्सा पद्धति से इलाज के लिए प्राइवेट वार्ड, ट्रॉमा बेड, आयुष बेड की भी सुविधा होगी. दिल्ली एम्स की तरह इस परिसर में भी डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के लिए नाइट शेल्टर, गेस्ट हाउस, 1000 सीटों वाला ऑडिटोरियम, हॉस्टल और आवासीय सुविधाएं तैयार की जाएंगी. स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा यहां मेडिकल शिक्षा, नर्सिंग और स्वास्थ्य संबंधी शोध के लिए भी केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज समेत आईसीयू स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट तैयार करने की सुविधा होगी.
बेहतर होंगी स्वास्थ्य सुविधाएं
रेवाडी में एम्स बनने के बाद गुरुग्राम समेत राजस्थान के अलवर और झुंझुनू जिलों सहित रेवाडी, महेंद्रगढ़, भिवानी, रोहतक, झज्जर, मेवात, पलवल, फरीदाबाद से आने वाले मरीजों को भी काफी फायदा मिलने वाला है. अब इन मरीजों को इलाज के लिए चंडीगढ़ या दिल्ली नहीं भागना पड़ेगा.
केंद्र 1300 करोड़ रूपए करेगा खर्च
एम्स के इस प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसका मसौदा तैयार कर लिया गया है. स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ- साथ यह अस्पताल रोजगार के बड़े केंद्र के रूप में भी विकसित होगा. एक अनुमान के मुताबिक, यहां करीब 3000 लोगों को प्रत्यक्ष और करीब 10 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा.
2015 में AIIMS की हुई थी घोषणा
आपको बता दें कि 5 जुलाई 2015 को बावल की विकास रैली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रेवाड़ी के माजरा में एम्स की घोषणा की थी. हालांकि, तब से अब तक 8 साल लग गए और एम्स का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका. फिलहाल किसानों से जमीन लेकर अस्पताल निर्माण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंप दी गई है.
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