रेवाड़ी | हरियाणा की महत्वाकांक्षी परियोजना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की उम्मीदों को पंख लगाने का समय आ गया है. परियोजना के लिए आवश्यक 210 एकड़ भूमि में से 203 एकड़ भूमि पंजीकृत की जा चुकी है. जमीन देने वाले किसानों को मुआवजा भी मिल गया है बस शिलान्यास का इंतजार है.
इसमें दो सबसे बड़ी बातें सामने आई हैं. एक तो प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से शिलान्यास का समय तय नहीं किया गया है और शेष 7 एकड़ जमीन के छोटे टुकड़ों की रजिस्ट्री होनी बाकी है लेकिन इस बड़ी परियोजना की उम्मीद पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बड़ा बयान देते हुए कहा कि जल्द ही एम्स का शिलान्यास किया जाएगा.
2015 में की गई थी इसकी घोषणा
हरियाणा में पहली बार बीजेपी ने दक्षिणी हरियाणा में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद, भाजपा सरकार ने दक्षिणी हरियाणा की जनता का वोट का कर्ज चुकाने के लिए कई बड़े ऐलान किए. इसी बीच जुलाई 2015 में बावल में प्रगति रैली का आयोजन किया गया. इस रैली में मुख्य अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहुंचे थे.
इससे पहले केंद्र में स्थापित भाजपा सरकार ने हर राज्य में एक एम्स खोलने की घोषणा की थी. प्रगति रैली के आयोजक राज्य सरकार में मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री से इस अवसर को गंवाए बिना उनके आलोक में एम्स के निर्माण की घोषणा करने का अनुरोध किया. इसके बाद, मुख्यमंत्री ने तत्काल बावल हलके के गांव मनेठी में एम्स के निर्माण की भी घोषणा की.
3 साल कुछ नहीं हुआ
2015 में घोषणा की गई लेकिन परियोजना की आवाज दबाई जाती रही. वहीं, मनेठी गांव की पंचायत ने 200 एकड़ से अधिक पंचायती जमीन देने की घोषणा की. बाद में मामला पूरी तरह से तूल पकड़ गया. इसके बाद, मनेठी के ग्रामीणों ने मोर्चा संभाला और 8 महीने से अधिक समय तक धरना दिया. राज्य में सरकार पर पूरा दबाव था.
इसी बीच साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट में मनेठी एम्स की घोषणा की लेकिन बाद में केंद्र की वन सलाहकार समिति ने इस जमीन पर रोक लगा दी. इसके पीछे क्षेत्रीय राजनीतिक विरोध को समझा जा रहा था. इसके साथ ही, एम्स के प्रोजेक्ट को रेवाड़ी जिले से शिफ्ट किए जाने की बात सामने आने लगी.
203 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री हुई
भालखी- माजरा में बनने वाले एम्स प्रोजेक्ट के लिए सरकार को 210 एकड़ जमीन मिली है. पिछले 4 माह से चल रहे रजिस्ट्री कार्य के तहत 203 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी है लेकिन वर्तमान में शेष 7 एकड़ जमीन ऐसी है कि छोटे-छोटे टुकड़े अलग- अलग लोगों के नाम पर हैं जिससे रजिस्ट्री में कुछ और समय लग रहा है.
हालांकि, फरवरी के दूसरे सप्ताह तक रजिस्ट्री का काम पूरा होने की उम्मीद है. खास बात यह है कि रजिस्ट्री होते ही जमीन देने वाले ग्रामीणों के खाते में पैसा भी भेजा जा रहा है.
मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने समय मांगा
एम्स के शिलान्यास की मांग काफी पुरानी है. एम्स संघर्ष समिति लगातार सरकार पर दबाव बना रही है. इसी के चलते दिसंबर माह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर शिलान्यास के लिए समय मांगा था. कुछ दिन बाद केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी पीएम से मुलाकात की और रेवाड़ी एम्स को लेकर समय मांगा. अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से शिलान्यास को लेकर कोई समय नहीं दिया गया है.
एम्स के शिलान्यास की उम्मीद गणतंत्र दिवस पर तब जगी जब मुख्य तिथि के रूप में ध्वजारोहण करने रेवाड़ी आए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी अपने भाषण में इसका जिक्र करते हुए जल्द ही शिलान्यास करने की उम्मीद जताई.
एम्स का राजनीतिक महत्व
दक्षिण हरियाणा में स्थापित होने वाले इस एम्स का राजनीतिक महत्व भी है. हरियाणा में दो बार भाजपा की सरकार बनाने में इस क्षेत्र का विशेष योगदान रहा है. 2014 से पहले इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन 2014 में भाजपा में शामिल होने के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र के बेटे और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह 2014 में भाजपा में शामिल हो गए.
भविष्य की राजनीति को देखते हुए भाजपा इस क्षेत्र में एम्स जैसी सौगात देकर लंबी राजनीति की तैयारी कर रही है इसलिए रेवाड़ी में बनने वाले एम्स का राजनीतिक महत्व बहुत अधिक है.
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