रेवाड़ी । रेवाड़ी जिले के गांव कंवाली में 100 साल पुरानी हवेली में चल रही खुदाई में अजीबोगरीब तीर मिले हैं. हवेली को गिराने के बाद नए सिरे से बनाने के लिए तोड़ने और खुदाई करने का काम किया जा रहा है. इस दौरान जमीन के नीचे दबे तीर मिले हैं. वहीं हवेली से तीर निकलने की सूचना मिलते ही आसपास के लोग उन्हें देखने पहुंच रहे हैं. लोगों के अंदर उन अजीबोगरीब तीरों को देखने की उत्सुकता बनी हुई है. लोग उन तीरों को हर हाल में देखना चाहते हैं और अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहते हैं.
दरअसल, रेवाड़ी के गांव कंवाली में एक हवेली तक़रीबन 100 साल पुरानी है और आज वह खंडहर हो चुकी है. हवेली के मालिक ने इसे तुड़वाकर नई बनाने की योजना बनाई है. इसी योजना के तहत निर्माण कार्य शुरू हुआ है. खुदाई के दौरान जमीन में दबे तीर मिले तो हवेली चर्चा का विषय बन गई है. अब लोगों का आवागमन जारी है.
और भी निकल सकती हैं पुरानी चीज़ें
गांव कंवाली निवासी सत्यम उर्फ सुभाष मिस्त्री ने बताया है कि उन्होंने निर्माण के लिए खंडहर हो चुकी अपनी पुरानी हवेली को तोड़ना शुरू किया,तो इसमें पुराने जमाने की ईंट व लकड़ी के गार्डर, पुराने कातला-पट्टी लगे हुए हैं. हवेली की दीवारों पर बने हुए गेट व खिड़की भी पुराने जमीन की प्रतीत हो रही हैं। वहीं हवेली की खुदाई में मिले तीर के मुहाने लोहे के व पीछे बांस की लकड़ी लगी हुई है. तीर के मुहाने का लोहा जंग लगा होने के बावजूद ज्यादा क्षतिग्रस्त नहीं है.
मिस्त्री सुभाष ने आगे बताया कि रविवार को जब मजदूर खुदाई करने के बाद मलबा हटा रहे थे तो जमीन में उन्हें कुछ दबा दिखाई दिया. सूचना मिलने के बाद मैंने मोके पर पहुंचकर जमीन से इन चीजों को निकालकर साफ किया तो ये पुराने जमाने के तीर निकले. अभी तक केवल 5 तीर ही मिले हैं, परंतु खुदाई के साथ पुराने जमाने की और भी चीजें मिलने से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
आगे खुदाई जारी है, हो सकता है कोई और ऐतिहासिक वस्तु वहाँ पर निकल जाएं. इसलिए सुभाष मिस्त्री ने अभी खुदाई को रोका नहीं है. लेकिन लोगों के दिल में एक उत्सुकता सी छा गई है. लोग अब उन अजनबी तीरों को देखना चाहते हैं और अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहते हैं. वो तीर पुराने जमाने के हैं और बहुत ही अजीबोगरीब हैं. इसी वजह से ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग उन तीरों को देखने के लिए जा रहे हैं. यानी अब ऐतिहासिक हवेली पर्यटन स्थल बन चुकी है.
226 जगहों पर जमीन में दफन है इतिहास
जिले की जमीन में 226 जगह इतिहास दफन है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पुरातत्वविदों की टीम ने जिले में किए गए शोध में यह खुलासा किया है. इन स्थलों में इतिहास से जुड़ी घाघर-हाकड़ा संस्कृति से लेकर मध्यकाल तक की कई ऐसी अहम चीजें मिली हैं, जो प्रमाणित करतीं हैं कि ऐतिहासिक दृष्टि से रोहतक कितना महत्व है.
दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से अनुमति मिलने के बाद जाट कॉलेज के इतिहासकार डॉ. विवेक दांगी और एमडीयू के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मनमोहन सिंह ने टीम के साथ जिले की ऐतिहासिक वास्तु स्थिति जानने के लिए शोध शुरू था. शोध के माध्यम से जिले के विभिन्न गांवों जाकर बुजुर्गों से बातचीत की गई और खेतों-जंगलों में जाकर वहां की पुरातात्विक स्थिति देखी. इसमें जो खुलासा हुआ उससे पुरातत्वविद भी अचंभित रह गए.
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