रेवाड़ी । अमेरिक में इंजिनियर की नौकरी छोड़कर वर्ष 2020 में घर वापस लौटे बावल खंड के गांव नंगली परसापुर निवासी धर्मवीर यादव ने 5 एकड़ जमीन में ऑर्गेनिक प्रक्रिया से बागवानी करने की शुरुआत की है. एक साल कृषि की बारीकियों का अध्ययन करने के बाद खेती शुरू की. धर्मवीर ने कृषि फार्म में अलग-अलग किस्म के 780 पेड़ हैं, जिनमें 306 पेड़ अमरूद के, 300 नींबू के, 150 कीनू व 30 पेड़ अन्य किस्म शामिल हैं. धर्मवीर बतातें है कि जलवायु परिवर्तन का खतरा देखते हुए उसने आर्गेनिक खेती की शुरूआत की है. इसके साथ ही, वह पचास से अधिक किसानों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.
बता दें कि वर्ष 1999 में भिवानी स्थित टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज से आईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद धर्मवीर अमेरिका में नौकरी की तलाश में चले गए। जहां एक आईटी कंपनी में उन्हें इंजीनियर की नौकरी मिली. उस कंपनी में 11 साल काम करने के बाद जलवायु परिवर्तन समस्या को देखते हुए उन्होंने अपने गांव वापस लौटकर ऑर्गेनिक तरीके से बाग (खेती) लगाने का ख्याल आया. जिसके बाद राज्य के विभिन्न ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसान व कृषि विज्ञानिकों से मिलना शुरु किया और धीरे- धीरे अपने फार्म पर शोध सेंटर बनाकर रिसर्च करना प्रारंभ किया और उन्हें कामयाबी मिलती गई। फिर अपने फार्म पर उन्होंने 780 पेड़ों का बाग लगा दिया.
जलवायु परिवर्तन के कारण आया ऑर्गेनिक बाग लगाने का विचार
धर्मवीर यादव ने बताया कि भारत ही नहीं बल्कि सारे संसार में फसलों में केमिकल युक्त खाद डालने की वजह से कृषि पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, इस खाद की वजह से कैंसर जैसी बीमारियां भी मानव पर हावी हैं इसलिए उन्होंने ऑर्गेनिक प्रक्रिया से बाग लगाकर इन बीमारियों छुटकारा पाने के लिए किसानों को संदेश दिया है. इसके साथ ही, वो किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए जागरुक भी कर रहे हैं.
बाग लगाने में 9 लाख का खर्च
बाग लगाने में धर्मवीर का कुल 9 लाख रुपये का खर्चा आया है. जिसमें तारबंदी, ड्रिप सिस्टम, पेड़ों का खर्चा शामिल है. उन्होंने 780 पेड़ों पर 1 लाख 17 हजार रुपये कुल खर्च किए हैं. बाग में 3-4 मजदूर काम करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके बाग में पेड़ों की देखभाल करने के लिए मजदूरों का अहम योगदान है.
लोगों को दे रहे ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि समय- समय पर उनके फार्म हाउस में स्थानीय किसानों के लिए कैंप लगाया जाता है. जहां विभिन्न कृषि अधिकारी सैंकड़ों किसानों को ऑर्गेनिक खेती व बागवानी की ट्रेनिंग देते हैं. कैंप में सैंकड़ों किसान सम्मलित होते हैं. वहीं, उनसे प्रेरणा लेकर करीब क्षेत्र के 25-30 किसान ऑर्गेनिक खेती करना शुरु भी कर चुके हैं.
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