रेवाड़ी । हरियाणा के रेवाड़ी में प्राइवेट अस्पतालों के बड़े झूठ का पर्दाफाश हुआ है. दरअसल जिला प्रशासन ने एक ऑडिट टीम का गठन किया था. यह ऑडिट टीम जिले के अलग-अलग निजी अस्पतालों में निरीक्षण के लिए गई. इसी दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ है. ऑडिट के दौरान इस बात का पता लगा कि चार निजी अस्पतालों ने खुद के अस्पतालों में वेंटिलेटर,आईसीयू और यहां तक कि ऑक्सीजन के बेड भी फुल दिखाए. अस्पतालों द्वारा जो रिपोर्ट दी गई थी उसमें जानकारी अलग हुई थी, लेकिन ऑडिट टीम ने जो निरीक्षण किया तो अस्पतालों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में अनियमितताएं मिली. जिले के डीसी ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए सख्त एक्शन एक्शन लिया और चारों अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भेजकर 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा.
इससे पहले आपको यह बता दें कि जिले के डीसी श्री यशेंद्र सिंह ने बीती देर रात तक कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे 21 अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ बैठकर विचार-विमर्श किया था ताकि मरीजों को जल्दी से जल्दी और उचित उपचार मिल सके और उन्हें किसी तरीके की कोई परेशानी ना हो. हर एक मरीज को ऑक्सीजन तथा बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जा सके इस बारे में भी चर्चा की गई. इसी दौरान डीसी ने कहा कि जो मरीज ठीक हो चुके हैं उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए और जिनको इनकी जरूरत है उन्हें ऑक्सीजन व बेड दे दिया जाए. बता दें कि कुछ अस्पतालों में मेडिक्लेम के मरीजों को लंबे समय तक रखा जा रहा है. जबकि वास्तव में कहानी कुछ और ही है.
ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा
जिले के डीसी श्री यशेंद्र सिंह ने अलग-अलग अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत जानने के लिए समीक्षा की. अस्पतालों में जाकर डीसी साहब ने ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट के बारे में पता लगाया और बैठक में डिप्टी सिविल सर्जन डॉ विजय प्रकाश, डॉक्टर सर्वजीत ठाकुर को अस्पतालों में ऑक्सीजन का मौजूदा हाल जानने के लिए भेजा. तब एक बड़ा खुलासा हुआ. डॉक्टरों की टीम ने ऑडिट करने पर बताया कि अस्पताल भय का माहौल पैदा कर रहे और जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड प्रशासन से कर रहे हैं.
क्या सच्चाई आई सामने जानिए आप भी
- मातृका अस्पताल रेवाड़ी में मीटिंग में बताया कि उनके अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या 5 है जो हाई फ्लो ऑक्सीजन पर है लेकिन जब निरीक्षण किया गया तो वहां कोई मरीज नहीं मिला.अस्पताल के अनुसार उनके यहां ऐसे मरीजों की संख्या 30 है जो कि ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं लेकिन जब जांच की गई तो कुल 18 मरीज ही ऐसे पाए गए जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे. एक और सच जो सामने आया वो ये था कि अस्पताल ने बताया था कि उनके पास 34 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन ऑडिट के दौरान 31 मरीज भर्ती मिले. इसके साथ साथ बाईपेप पर दो मरीज बताए गए हालांकि एक ही मरीज बाईपेप पर भर्ती था.
- वही कैप्टन नंदलाल अस्पताल के अनुसार उनके अस्पताल में 34 मरीज हैं जबकि ऑडिट टीम ने चेक किया तो केवल 14 मरीज पाए गए. सभी 14 मरीजों को ऑक्सीजन लगी हुई थी जबकि 5 नॉर्मल बेड पर थे जिनको प्रति मिनट के हिसाब से 2 लीटर ऑक्सीजन दी जा रही थी. आईसीयू में 9 मरीज भर्ती थे लेकिन जब रिपोर्ट आई तो उसमें 0 मरीज दिखाए गए थे. इनमें से 8 मरीजों की ऑक्सीजन 2 लीटर प्रति मिनट चल रही थी. अस्पताल में वेंटिलेटर पर 2 मरीज बताए थे, लेकिन वास्तविकता में एक ही मरीज था. अस्पताल के अनुसार ऑक्सीजन के 30 बेड थे लेकिन जांच में 18 बेड पाए गए.
- दूसरी ओर सिग्नस अस्पताल ने बताया कि उनके पास 31 मरीज भर्ती हैं लेकिन चेक किया तो 25 मरीज ही पाए गए. आईसीयू में दाखिल मरीजों की संख्या 4 बताई गई थी जबकि रिपोर्ट में 0 मरीज दिखाए गए थे. अस्पताल ने बताया था कि उनके पास वेंटिलेटर पर 2 मरीज हैं जबकि वास्तविकता में एक ही मरीज था.
- वेदांता अस्पताल ने बताया कि उनके अस्पताल में 27 मरीज दाखिल हैं लेकिन जांच करने पर 31 मरीज ही पाए गए.
कारण बताओ नोटिस जारी 24 घंटे में देना होगा जवाब
जिले के सीएमओ डॉ सुशील माही ने उन सभी अस्पतालों के डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और उन्हें 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है. उनसे पूछा गया है कि उन्होंने प्रशासन को गुमराह करते हुए मरीजों की गलत स्थिति और गलत डाटा क्यों दिया था.
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