रोहतक । अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह व्रत रविवार यानी 8 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी आयु और उनके जीवन में खुशहाली के लिए रखा जाता है. संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. इस दिन निर्जल व्रत यानि बिना कुछ भी ग्रहण किए, एक मां अपनी संतान की लंबी आयु और उज्जवल भविष्य के लिए देवी मां से पूजा करती है.
संतान सुख और संतान का सुख, दोनों देती है अहोई माता
सभी माताएं व्रत वाले दिन देवी मां से पूजा करती हैं कि उनके बच्चे की सुरक्षा करें और उन्हें हमेशा उनका साथ दे. बहुत सी स्त्रियां अहोई व्रत को प्रसन्न करने और संतान प्राप्त करने के लिए भी इस व्रत का पालन करती हैं. जैसे करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को अर्घ देकर उनकी पूजा की जाती है , बिल्कुल वैसे ही इस व्रत में तारों की छांव में अर्घ दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. इस समय में, शहरों के मंदिरों और घरों में, शाम के समय होते ही माता की कथा सुनकर उनका पूजन किया जाता है.
जानें क्या है शुभ मुहूर्त
इस व्रत के आगमन से दीपावली के त्यौहार की शुरुआत मानी जाती है. यहां मुख्य बात यह है होगी कि 8 नवंबर शाम को 5 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 46 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त विभिन्न पंडितों द्वारा बताया गया है. पूजा की अवधि 1 घंटा 19 मिनट तक रहेगी. आचार्य उपेंद्र कृष्ण जी ने कहा कि पंचाग के मुताबिक़ इस बार अहोई का व्रत रविवार के दिन होगा.अहोई का व्रत दिवाली से एक सप्ताह पहले रखा जाता है, किन्तु इस बार यह छह दिन पहले ही मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की दीर्घयु व समृद्धि के लिए रविवार के दिनअहोई का व्रत रखेगी.
इस बार दो दिन मनेगा अहोई माता का व्रत
इस बार शनिवार व रविवार दोनों ही दिन अहोई माता के व्रत का पालन किया जा सकता है. पूर्वजों का मानना था, कि दिवाली से 1 सप्ताह पहले ही अहोई का व्रत आता है, तो इस स्थिती ने पूर्वजों के मुताबिक जिस दिन दिवाली है, यानि उससे 1 सप्ताह पहले शनिवार है. किन्तु, अहोई मां का व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार रविवार को पड़ रहा है. ऐसे में दोनों ही दिनों में अहोई अष्टमी माता का व्रत किया जा सकता है.
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